
बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
विश्व ऑटिज्म दिवस के अवसर पर सर्व सेवा संस्थान, नवरतनपुर द्वारा ऑटिज्म जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ’आदर्श पूर्व माध्यमिक विद्यालय’, जमुई ग्राम में किया गया। कार्यक्रम के द्वारा स्थानीय लोगों एवं छात्रों को ऑटिज्म वाले विशेष बच्चों के प्रति जागरूक किया गया तथा उनके लक्षण, कारण एवं प्रबन्धन के बारे में बताया गया।
इस अवसर पर ममता प्रजापति ने बताया कि वर्ष 2024 में ’ऑटिस्टिक आवाज़ों को सशक्त बनाने’ का थीम रखा गया है जिसका उद्देश्य इस स्थिति वाले व्यक्तियों को अधिक समर्थन और शक्ति प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे एक सार्थक जीवन जीने के साथ एक सफल करियर भी बना सकें। ऑटिज्म बच्चों में निम्न लक्षण होते है-बच्चों को देरी से बोलना शुरू करना, एक ही शब्द को बार-बार रिपीट करना, किसी के बोलने या कुछ कहने पर जवाब नहीं देना, बच्चे का ज्यादा समय अकेले ही बिताना, किसी से आंखें मिलाकर बात न करना, एक ही चीज को बार-बार करना, किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह बिजी रहना, सामने वाले व्यक्ति की भावना न समझना, सवालों का जवाब देने में कठिनाई महसूस करना आदि लक्षण देखा जाता है।
सुनिल शर्मा ने बताया कि विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस का महत्व-ऑटिज्म के विकार को दूर किया जा सकता है। इसके लिए माता-पिता समेत लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है। इसके अलावा, बच्चे ऑटिज्म के अधिक शिकार होते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह प्रयास सरहनीय है। इससे ऑटिज्म को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
इस अवसर पर सिंधराज, सुनिल कुमार प्रजापति, अतुल कुमार, पवन, संदीप कुमार प्रजापति, नागेन्द्र यादव, प्रिंस एवं डी एड विशेष शिक्षा-श्रवण बाधिता व बौद्धिक अक्षमता के छात्र उपस्थित रहे।
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