देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष विष्णु अग्रवाल की अध्यक्षता में नगरपालिका अध्यक्ष अलका सिंह एवं ईओ संजय कुमार तिवारी से मिला। इसमें नगरपालिका द्वारा मनमाने ढंग से थोपे गए गृहकर एवं जलकर के विरोध में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि बढ़े हुए कर की वापसी एवं विधिसम्मत प्रक्रिया द्वारा, व्यापारी एवं सामाजिक संगठनों से परामर्श के पश्चात ही कर निर्धारण होना चाहिए। नगर पालिका परिषद् द्वारा हाल ही में गृह कर एवं जल कर में की गई वृद्धि न केवल मनमानी है बल्कि नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत भी है। इस अधिनियम की धारा 128 से 135 तक करारोपण एवं निर्धारण की प्रक्रिया का स्पष्ट प्रावधान करती हैं, जिनमें यह अनिवार्य है कि कर निर्धारण से पूर्व जन-सुनवाई, आपत्तियों की प्राप्ति एवं निस्तारण की विधि का पालन किया जाए। धारा 131(3) के अनुसार कोई भी नया कर अथवा कर की दर में वृद्धि तब तक लागू नहीं की जा सकती जब तक कि उसके संबंध में आपत्तियाँ आमंत्रित कर विधिवत सुनवाई न की जाए। नगर निकाय अधिनियम की मंशा यह है कि करारोपण जनहित में, पारदर्शी एवं सहमति के आधार पर हो। अतः बिना व्यापारी संगठनों, सामाजिक संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों की सहमति के लिया गया कोई भी निर्णय विधिसंगत नहीं ठहराया जा सकता। स्वकर में दस वर्षों में एक बार कर निर्धारण की प्रक्रिया बताई गई थी जबकि वर्तमान में जिनका कर निर्धारण 2022-23, 2023-2024 में हुआ है उनका भी कर निर्धारण कर प्रक्रिया 2025-26 का हवाला देते हुए नगरपालिका कर्मचारी जिम्मेदार कर रहे हैं ये उचित नहीं हैं। पुनः कर निर्धारण अन्याय पूर्ण है इस पर तत्काल रोक लगाना चाहिए। इसके अलावा अन्य मांग शामिल है। नगरपालिका अध्यक्ष ने शासन स्तर पर पत्र लिखकर नगर वासियों को राहत दिलाने के लिए कहा। इस दौरान जिलाध्यक्ष जवाहर लाल बरनवाल, योगेश सिंह, बशिष्ठ मुनि बरनवाल, संजय गुप्ता, मार्कण्डेय, व्यास चंद्र, अंकित गुप्ता, पंकज वर्मा, पवन जयसवाल, गोपाल मद्धेशिया, सौरभ केडिया, आशीष कनोड़िया, सुरेश गुप्ता, अनूप गुप्ता, राहुल कुमार, विनोद कुमार, दिनेश चंद्र, श्याम रंजन, जवाहर लाल, सोनू मद्देशिया, अनिल कुमार, धनेश पाल, विनोद कुमार, मनमोहन, ओमप्रकाश सिंह, मुन्ना रावत, कृष्ण कुमार, राजकुमार गुप्ता, पवन जयसवाल, संदीप कुमार शामिल रहे।