
बलिया( राष्ट्र की परम्परा)
सिकन्दरपुर क्षेत्र के मठिया- लिलकर ग्रामान्तर्गत त्रिदिवसीय सत्संग-प्रवचन एवं अद्वैत शिवशक्ति यज्ञ के प्रथम दिन प्रातः जलकलश यात्रा सुसम्पन्न हुई l सांध्य सत्र में व्यासपीठ से स्वामी ईश्वरदास ब्रह्मचारी ‘मौनी बाबा’ महाराज ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए आत्मा- परमात्मा में अभिन्न स्थिति को व्याख्यायित करते हुए कहा कि जो आत्मा है, वही परमात्मा है l दोनों में कोई तात्विक अन्तर नहीं है l मोहासक्त होने से आत्मा ही जीव का स्वरूप धारण करता है और सांसारिक वेदना की अनुभूति करता है, किन्तु जब वही जीव पुनः आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में परमात्मा से तादात्म्य स्थापित कर लेता है l उन्होंने भक्त ध्रुव के प्रसंग में बताया कि समर्पण की भावना न होने से हम विषय – विमोहित होते हैं और जब गुरु और परमात्मा के प्रति समर्पित हो जाते हैं, तो केवल परमात्मा ही परमात्मा सर्वत्र दृष्टिगत होते हैं l
परमधाम प्रतिष्ठापक स्वामी ने आगे कहा यह शरीर और संसार नश्वर है l जिन चर्मचक्षुओं से हम संसार को देख रहे हैं, उन आँखों से परमात्मा कदापि दृश्य नहीं हैं l भगवान को देखने के लिए भक्त की आँखें होनी चाहिए l उन्हें देखने के लिए हृदय-चक्षु का खुलना अनिवार्य है – “उघरहिं विमल विलोचन ही के l……..ll” किन्तु इसके लिए हमें सन्त-सद्गुरु की शरण लेनी ही पड़ेगी, इसके सिवाय कोई दूसरा मार्ग नहीं है क्योंकि सद्गुरु ज्ञान का दीपक लेकर शिष्य के हृदय में व्याप्त मोह रूपी अन्धकार को दूर कर संसार- सागर से पार उतारकर शिव परमात्मा के चरणों तक पहुँचा देते हैं जहाँ अखण्ड आनन्द एवं परम शान्ति का साम्राज्य है l
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