September 13, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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तकनीकी दक्षता से ही परम्परागतशास्त्र सुरक्षित रहेंगे

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग में दीक्षारम्भ समारोह का भव्य आयोजन किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि सत्यनारायण भट्ट, अखिल भारतीय महामंत्री, संस्कृत भारती, बेंगलुरू, कर्नाटक तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. छाया रानी पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग एवं डॉ. प्रकाश झा, संगठन मंत्री, संस्कृत भारती, गोरक्ष प्रांत तथा अध्यक्षता प्रो. कीर्ति पांडेय, विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग एवं कला संकाय अधिष्ठाता ने की।
विशिष्ट अतिथि प्रो. छाया रानी ने दीक्षारंभ के पारंपरिक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हम भारतीयों की प्राचीन परंपरा है। जो शिक्षा प्रारंभ करने से पूर्व संस्कार के रूप में प्रचलित थी। प्रत्येक बालक-बालिका का यह अधिकार था।
क्रम को आगे बढ़ते हुए डॉ. प्रकाश झा ने कहा कि दीक्षारंभ में गुरुकुल के नियमों को गुरु उपदिष्ट करता था तथा अनेक प्रकार के छोटे-छोटे वाक्य से भविष्य निर्माण करने का उपदेश देता था। उन्होंने भी संस्कृत का छात्र होने के नाते प्रतिदिन संस्कृत पढ़ने, बोलने तथा व्यवहार करने का संकल्प लेने पर बल दिया।
मुख्य वक्ता के रूप में तकनीकी क्षेत्र में संस्कृत विषय पर बोलते हुए सत्यनारायण भट्ट ने कहा कि हमारे समस्त संस्कृत के ग्रंथ तकनीकी का ज्ञान देते हैं। जैसे गीता प्रबंधन का श्रेष्ठ ग्रंथ है। आज लगभग सभी प्रबंध संस्थान गीता पर बात करते हैं। संस्कृत से संबंधित अनेक सॉफ्टवेयर एप्स तथा ई पुस्तकालय व अन्य हजारों तकनीकी तन्त्रों के नाम गिनाए। तथा उन तकनीकी तन्त्रों का प्रयोग करना भी स्पष्ट किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. कीर्ति पांडेय ने संस्कृत के प्रयोग पर अधिक बल देते कहा कि हमें संस्कृत के साथ विज्ञान अवश्य पढ़ाना चाहिए तभी आप संस्कृत के साथ सफल हो सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन एवं रूपरेखा विभागीय समन्वयक डॉ. लक्ष्मी मिश्रा ने प्रस्तुत की तथा धन्यवाद डॉ. कुलदीपक शुक्ल ने किया।
इस अवसर पर विभागीय शिक्षक डॉ. देवेंद्र पाल, डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह, डॉ. रंजन लता, डॉ. स्मिता द्विवेदी, डॉ. मृणालिनी, डॉ. ज्ञानधर भारती तथा विशेष कर परास्नातक प्रथम वर्ष के छात्र, शोधछात्र एवं अन्य विभागीय छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।