कथावाचक ने सुनाया रुक्मिणी विवाह का प्रसंग
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। ग्राम पंचायत दुबौली में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा व्यास पंडित उमेश चन्द्र शुक्ल ने इस अवसर पर उद्धव चरित्र, महारास लीला एवं रुक्मिणी विवाह के दिव्य प्रसंगों का मनमोहक वर्णन किया। श्रोता भाव-विभोर होकर कथा श्रवण में डूब गए। कथावाचक पंडित शुक्ल ने महारास प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जब गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से पति रूप में मिलने की इच्छा प्रकट की, तब भगवान ने उनके इस अनुराग को सम्मान देते हुए शरद पूर्णिमा की रात्रि में यमुना तट पर महारास का आयोजन किया। उस दिव्य रात्रि में जब भगवान की बांसुरी की मधुर तान बजी, तो समस्त गोपियां अपने-अपने घरों से सुध-बुध खोकर श्रीकृष्ण के चरणों की ओर दौड़ पड़ीं। उन्होंने कहा कि गोपियों का यह प्रेम केवल आध्यात्मिक और निष्काम भक्ति का प्रतीक था, जिसमें वासना नहीं, केवल समर्पण और प्रेम की पवित्रता थी। श्रीकृष्ण ने हर गोपी के साथ एक साथ नृत्य करने के लिए अपने अनेक रूप प्रकट किए। इस दिव्य महारास को देखकर देवता भी मुग्ध हो उठे।
कथावाचक ने बताया कि वृंदावन स्थित निधिवन को आज भी वही पावन स्थल माना जाता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने यह अद्भुत महारास रचाया था।इसके पश्चात पंडित शुक्ल ने रुक्मिणी विवाह का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने सभी प्रतापी राजाओं को परास्त कर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी का हरण किया और द्वारका में वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार उनका पाणिग्रहण किया। इस प्रसंग के साथ ही कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से जय श्रीकृष्ण के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान कर दिया।
मौके पर आयोजक मंडली की ओर से आकर्षक वेशभूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत की गई, जिसमें विवाह संस्कार की रस्मों को सजीव रूप से प्रदर्शित किया गया। कथा के दौरान भजन व संकीर्तन की मधुर स्वर लहरियों ने पूरे परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
कार्यक्रम में मुख्य श्रोता के रूप में सेवानिवृत्त अध्यापक शारदा तिवारी उपस्थित रहे। उनके साथ राजन तिवारी, योगेंद्र तिवारी, नरेंद्र तिवारी, कौशल किशोर तिवारी, ग्राम प्रधान सहित क्षेत्र के अनेक गणमान्य नागरिक एवं श्रद्धालु मौजूद रहे। कथा स्थल पर दिनभर भक्तों का आना-जाना लगा रहा, वहीं महिलाओं ने कीर्तन मंडली के साथ भक्ति गीतों से माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।
