ज्यादा रंगीन मिठाइयां बिगाड़ सकती हैं आपकी सेहत -मुशरफ खान साहब
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
त्योहारी सीजन चल रहा है। दीपावली दीपो व मिठाइयों का त्योहार है। बाजार में मिठाइयों की नई-नई दुकानें सज गई हैं। धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और फिर छठ पर्व नजदीक है। इस समय मिठाई की मांग काफी बढ़ जाती है। ऐसे में मांग के अनुरूप उपभोक्ताओं को आपूर्ति संभव नहीं हो पाती है और अधिक से अधिक मुनाफे के लिए मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं।
त्योहारों के सीजन के इस अवसर पर सभी देशवासियों को धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पर्व की शुभकामनायें देते हुए मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वरिष्ठ समाजसेवी एवं राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक मुशरफ खान ने बताया कि त्योहारों का सीजन है। शुभ दीपावली में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं। ऐसे में लोग तमाम तैयारियों में जुट गए हैं। बाजारों में रंग-बिरंगी लाइट्स, रंगोली के रंग, दीपक, मोमबत्ती आदि देखने को मिल रही है। चुकी दीपावली मिठाइयों का त्योहार है। घर-घर में मिठाइयों की डिमांड है। इसलिए बाजार में खूबसूरत रंगीन मिठाइयां बिक रही हैं। देखने में भले ही यह बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योकि त्योहार पर हम सभी एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर ख़ुशियों की बधाई देते हैं। लेकिन इन ख़ुशियों पर ग्रहण तब लग जाता है, जब आप मिलावटी मिठाइयों का सेवन अनजाने में कर बैठते हैं। मिलावट खोर त्योहार में मांग का फायदा उठाकर सेहत से खेल करने की सम्भावना रहती हैं। जबकि मिलावटखोरी आमजन के जीवन से खिलवाड़ है। त्योहारी सीजन शुरू है,ऐसे मिठाईयों की मागं बढ़ जाने से मिलावटखोरों के सक्रिय होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, तमाम चीजों से अलग इस समय बाजार की मिठाई का सेवन आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। दरअसल, किसी भी त्योहार के समय खासकर दिवाली पर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में अधिकतर दुकानदार दूध, घी यहां तक कि मावा और ड्राई फ्रूट्स तक में भी मिलावट करने लगते हैं। खानपान की इन चीजों में वे ऐसे पदार्थ मिला देते हैं, जिनकी खुली आंखों से पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। वहीं, पेट में जाने के बाद ये चीजें सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं। ऐसे में कोशिश करें कि इस साल त्योहार पर आप इन मिलावटी मिठाइयों से पू्री तरह दूरी बना लें। क्योकि सभी जानते हैं कि त्योहारों में सबसे ज्यादा मिठाइयां बिकती हैं। बाजार में बिकने वाली सारी मिठाई शुद्ध हो, यह मुमकिन नहीं। कारण कि त्योहारी सीजन में मांग के अनुरूप आपूर्ति संभव नहीं हो पाती। इस कारण मिलावट की आशंका अधिक रहती है। वहीं, दीपावली पर शहर से लेकर कस्बा और गांव तक मिठाइयों की धूम है, सबसे ज्यादा रंग बिरंगी मिठाई दिख रही हैं, लेकिन जरा सी असावधानी में यह मिठाई ही त्योहार का मजा किरकिरा कर सकती हैं। मिठाइयों को आकर्षक बनाने के लिए उनमें विभिन्न तरह से रंग मिलाए जा रहे हैं। मिठाइयों में मिलाए जाने वाले रंग से अल्सर से लेकर कैंसर तक का खतरा रहता है। आप रंगीन मिठाइयां कतई ना लें, क्योंकि उसमें मिलावट की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। खाद्य विभाग अपने स्तर से लोगों को जागरूक कर रहा है। मिलावटखोरों को पकड़ भी रहा है, लेकिन आपका सतर्क रहना सबसे आवश्यक है। त्योहारों पर खोया की बनी मिठाइयों के प्रयोग से बचना चाहिए। ज्यादातर रंगबिरंगी मिठाई न खाएं और बेसन आदि से बनी मिठाई खानी चाहिए।
खान ने मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया कि त्योहारों के सीजन में हर साल मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। अपने मुनाफे के लिए ये दूसरों की ज़िन्दगी में ज़हर घोलने पर आमादा हो जाते हैं। मिठाइयों में रंग की अत्यधिक मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। मिठाइयों में मिलावट से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। अगर इसमें कैमिकल की मात्रा ज्यादा हो और लगातार ऐसी मिठाइयों का सेवन किया जाए तो लीवर से लेकर कैंसर तक बीमारियां हो सकती हैं। स्थायी दुकानदार बाहर के मावे का इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन जो लोग सीजन को देखकर अस्थायी रूप से मिठाइयां बेचने आते हैं, हो सकता है वे ही मिलावटी मावे का प्रयोग करते हों। स्थायी दुकानदार खुद के बनाए मावे का ही प्रयोग करते हैं। इसलिए गुणवत्ता को ध्यान में रखकर ही मिठाइयां खाइए। ज्यादा रंगीन मिठाइयां आपकी सेहत भी बिगाड़ सकती हैं। वहीं मिलावट के नाम पर गुमराह करने वालों से भी सचेत रहें। स्वीट्स के कारोबार से जुड़े लोगों से बातचीत की तो सामने आया कि मिठाइयों में घरों में ही प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थ डालकर उनकी क्वालिटी के साथ समझौता किया जा रहा है। मिठाइयों में मिलाए जा रहे खाद्य पदार्थ ऐसे नहीं हैं जिससे की सेहत पर ज्यादा असर हो जाए, परंतु दूसरी ओर कुछ दुकानदार ऐसी भी मिठाइयां बना रहे हो जिसमें केमिकल सीमित मात्रा से अधिक रंग मिलाया जा रहा हो, ऐसी मिठाइयों के खाने से आपकी सेहत खराब हो सकती है। अगर मिठाई में कोई दूसरा खाद्य पदार्थ डालकर उसकी गुणवत्ता को कम किया गया हो जैसे मावे की बर्फी में फैट कम होना, रसगुल्ले में मावे के अलावा दूसरा खाद्य पदार्थ मिलाना आदि शामिल हो। अगर मिठाई में कोई केमिकल या रंग की मात्रा अधिक मिलती है तो उसे इंसान के लिए अनसेफ माना गया है। पीला रंग मिठाइयों में ज्यादा मिलाया जाता है। जोकि असर में मेटानिल एलो होता है। इसके खाने से अल्सर जैसी बीमारी हो जाती है जोकि काफी घातक होती है। मिठाइयों में हरी मिठाई भी काफी दिखाई देती है। दुकानकार उनकी शुद्धता की गारंटी लेते हैं लेकिन असल में यह रंग मैलाकाइट ग्रीन होता है, और इसे ज्यादा खाने पर कैंसर जैसी बीमारी हो सकती हैं। जगह जगह लाल और नारंगी रंग की मिठाई तो बहुत ही ज्यादा दिखती है। इसमें रोडामीन होता है। इसका पाचन तंत्र पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक की तंत्रिका तंत्र पर भी यह रंग असर डालता है। इसलिए हमारी अपील हैं कि त्यौहारी सीज़न में रंगीन मिठाईयों से दुरी बनाएं। शुभ दीपावली।
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