
राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर में बन रहे हैं नवनाथ एवं नाथ परम्परा पर आधारित चित्र
- नवनीत मिश्र
नवनाथ और नाथ परम्परा हिंदू धर्म की एक प्रमुख और प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परम्परा है। यह परम्परा भगवान शिव के नौ प्रमुख शिष्यों की पूजा और उनकी शिक्षाओं के अनुसरण पर आधारित है। नवनाथ और नाथ परम्परा का महत्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह हमें जीवन के मूल्यों, आध्यात्मिक विकास और सामाजिक सेवा के महत्व के बारे में भी सिखाती है।
नवनाथ की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं में वर्णित है। इन कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने नौ प्रमुख शिष्यों अथवा सिद्धों को नाथ की उपाधि प्रदान की थी। जिन्हें ‘ नवनाथ’ कहा जाता है। ये नौ नाथ भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और उनकी पूजा और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने से मानव का आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्त होता है।
नवनाथ के यथाक्रम- आदिनाथ, मच्छिंद्रनाथ, गोरखनाथ, जलंधरनाथ, कानिफनाथ, शबरनाथ, संजयनाथ, अचलनाथ व रेवणनाथ है। नवनाथों की सूची अलग- अलग ग्रंथों में अलग-अलग मिलती है।
नाथ परम्परा का महत्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है। बल्कि यह हमें जीवन के मूल्यों, आध्यात्मिक विकास और सामाजिक सेवा – सरोकारों के महत्व के बारे में भी सिखाती है। नाथ परम्परा के अनुयायी योग, तपस्या और सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
नाथ परम्परा में योग और तपस्या नाथ परम्परा योग और तपस्या के महत्व पर जोर देती है।
आत्म-ज्ञान नाथ परम्परा आत्म-ज्ञान की महत्ता पर बल देती है।
करुणा और दया नाथ परम्परा करुणा और दया के महत्व पर जोर देती है।
सेवा और परोपकार नाथ परम्परा सेवा और परोपकार के महत्व पर बल देती है।
नवनाथ परम्परा का महत्व
आध्यात्मिक विकास नवनाथ और नाथ परम्परा के अनुसरण से आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्त होता है।
नवनाथ और नाथ परम्परा के अनुयायी सामाजिक सेवा और परोपकार के माध्यम से समाज की सेवा करते हैं।
नाथ परम्परा का सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि यह हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के बारे में सिखाती है।
नवनाथ और नाथ परम्परा हिंदू धर्म की एक प्रमुख और प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परम्परा है। यह परम्परा भगवान शिव के नौ प्रमुख सिद्धों अथवा शिष्यों की पूजा और उनकी शिक्षाओं के अनुसरण पर आधारित है। नवनाथ और नाथ परम्परा का महत्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है। बल्कि यह हमें जीवन के मूल्यों, आध्यात्मिक विकास और सामाजिक सेवा के लिए बताती है।
यह परम्परा हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के बारे में सिखाती है और हमें जीवन के मूल्यों और आध्यात्मिक विकास के महत्व को समझने में भी मदद करती है।
इसलिए नवनाथ और नाथ परम्परा का अध्ययन और अनुसरण करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमें जीवन के मूल्यों, आध्यात्मिक विकास और सामाजिक सेवा के महत्व के बारे में सिखाती है और हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं का प्रवर्तन करती है।

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