

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा आयोजित नौ दिवसीय राष्ट्रीय चित्रांकन पूर्णता शिविर, (गोरखपुर सत्र) ‘‘ नवनाथ एवं नाथ परम्परा ” एवं राष्ट्रीय कला शिविर ‘‘ हुनर के रंग ” (चित्रकला, टेराकोटा कला, लिप्पन कला एवं शुभांकन कला) का समापन सोमवार को मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टण्डन, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं विशिष्ट अतिथि नवीन सोनी, वरिष्ठ कलाकार एवं प्रोफेसर, कच्छ विश्वविद्यालय, भुज, गुजरात, संगीता पाण्डेय, महिला उद्यमी, गोरखपुर तथा प्रोफेसर सुशील तिवारी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर सहित प्रोफेसर शिव शरण दास, पूर्व छात्र अधिष्ठाता, गोरखपुर विश्वविद्यालय की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टण्डन द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि बौद्ध संग्रहालय द्वारा नाथ पंथ एवं नवनाथ परम्परा पर आधारित राष्ट्रीय चित्रांकन शिविर में गुजरात की सोनी आर्ट्स गैलरी के तत्वावधान में महत्वपूर्ण नवदिवसीय आयोजन किया गया। जो कि दोनो राज्यों के सांस्कृतिक आदान प्रदान का महत्वपूर्ण माध्यम बना।
संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ. यशवन्त सिंह राठौर द्वारा रचनात्मक शैक्षिक आयोजनों की कड़ी में गोरखपुर की ऐतिहासिक पहचान को चित्रांकित कराने के उद्देश्य से नाथपंथ पर आधारित अद्वितीय चित्रों का सृजन कराकर गोरखपुर के नाथपंथ के इतिहास को जन-जन तक पहुॅंचाने का विशेष कार्य किया गया है। इन अद्भूत चित्रों के सृजन के लिए चित्रकारों एवं संग्रहालय की भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी। कार्यशाला में बड़े ही बारिकी से सुन्दर एवं भावविभोर करने वाले उत्कृष्ट चित्रों को उकेरा गया है। जल्दी ही ये चित्र एक ऐतिहासिक स्मारिका के रूप में सभी के समक्ष आयेंगे। जोकि एक अहम कदम का निर्वहन करेंगे।
उन्होंने कहा कि राजकीय बौद्ध संग्रहालय की टीम द्वारा निरन्तर किये जा रहे सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आयोजन गोरखपुर के लिए एक पृथक पहचान बन चुके है।
विशिष्ट अतिथि संगीता पाण्डेय ने कहा कि मैं चित्रकारों को भविष्य में आने वाले किसी भी समस्या के निदान हेतु सहयोग करूंगी। इसके साथ ही कलाकारों द्वारा सृजित कृतियों की पैकिंग एवं ब्रांडिन्ग में भी यथासम्भव सहयोग एवं मार्गदर्शन उपलब्ध कराऊंगी।
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध केन्द्र सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के प्रोफेसर सुशील तिवारी ने संग्रहालय की पहल ‘‘एक कदम समृद्ध पुस्तकालय की ओर‘‘ के अन्तर्गत लगभग 28 पुस्तकें बौद्ध संग्रहालय के ग्रन्थालय के लिए दान स्वरूप भेंट की गयी। जिनमें भारतीय तथा पाश्चात्य दर्शनों में व्यवहार तथा परमार्थ का भेद, अद्वैत वेदान्त, धम्मपद वग्ग आदि पुस्तकें उल्लेखनीय है।
कार्यक्रम में दोनों राष्ट्रीय शिविरों एवं जनवरी, फरवरी, 2025 में आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं के प्रशिक्षक, सहायक प्रशिक्षक सहित कुल 45 वरिष्ठ एवं युवा चित्रकार, मूर्तिकार एवं लोक कलाकारों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया।
इसके साथ ही शिविर में सृजित 50 कलाकृतियों को प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शकों हेतु प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन आनन्द राजवंशी ने किया।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने कहा कि संग्रहालय अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से निरन्तर युवा कलाकारों, इतिहासकारों तथा पुरातत्वविदों सहित विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को निरन्तर मंच प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। संग्रहालय द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से गोरखपुर एवं उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्वरूप प्रदान करने का भी प्रयास किया जा रहा है। नवनाथ एवं नाथ परम्परा पर आधारित सृजित चित्रों को एक स्मारिका के रूप में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ यथाशीघ्र प्रकाशित कर भविष्य में होने वाले शोध कार्य हेतु एक अहम ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा।
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