Monday, October 13, 2025
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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस: नि:शुल्क आकाश दर्शन कराएगा नक्षत्रशाला

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। हर साल 11 मई को भारत में मनाया जाता है, जिसे शक्ति की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। ये दिन भारत की बड़ी उपलब्धियो को याद दिलाता है। 11 मई को राजस्थान के पोखरण परीक्षण श्रृंखला में भारत ने दूसरी बार सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था। इस ऑपरेशन का नेतृत्व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था और इसे ऑपरेशन शक्ति या पोखरण-2 कहा जाता है। इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए ही इस दिन को मनाया जाता हैं। उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। दो दिन बाद देश में दो और परमाणु हथियारों का परीक्षण हुआ। इस परीक्षण के साथ ही भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया, जिनके पास परमाणु शक्ति है। इसी वजह से 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा कई और अहम तकनीकी क्रांति इसी दिन संभव हुई थी।
ऑपरेशन शक्ति के तहत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षणों के बाद 11 मई 1998 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का जश्न शुरू हुआ। पोखरण परमाणु परीक्षण की सफलता भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए ब्रह्मास्त्र मिलने जैसा था। भारतीय इतिहास में इस दिन का विशेष महत्व है। डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भी इसी दिन स्वदेशी विमान हंस-3 का सफल परीक्षण किया था। हंस-3 को नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी ने बनाया था। वह दो सीटों वाला हल्का विमान था। इसका इस्तेमाल पायलटों को प्रशिक्षण देने, हवाई फोटोग्राफी, निगरानी और पर्यावरण से संबंधित परियोजनाओं के लिए होता है।
1 मई 1998 को ही रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने त्रिशूल मिसाइल का आखिरी परीक्षण किया था। फिर उस मिसाइल को भारतीय वायुसेना और भारतीय थलसेना में शामिल किया गया था। त्रिशूल जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल है। यह छोटी दूरी की मिसाइल है।

वीर बहादुर सिंह तारा मंडल, गोरखपुर द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा प्रत्येक वर्ष तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस वर्ष इस अवसर पर नक्षत्र शाला विशेष दूरबिनो से रात्रि आकाश दर्शन कार्यक्रम का आयोजन निःशुल्क करेगा। जिसमे जनसामान्य को ग्रहों एवम् उपग्रहों का अवलोकन दूरबीन के माध्यम से कराया जायेगा।

—महादेव पाण्डेय,

प्रभारी वैज्ञानिक अधिकारी,

वीर बहादुर सिंह तारा मंडल, गोरखपुर

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