बहराइच( राष्ट्र की परम्परा) कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम के सभागार में यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के 71 वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय पोषण और वृक्षारोपण कार्यक्रम परिपेक्ष में पोषण वाटिका माह अभियान एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपकार के महानिदेशक डा संजय सिंह विशिष्ट अतिथि, जिला उपाध्यक्ष भाजपा रण विजय सिंह, कृषि उपनिदेशक डा टी पी साही,जिला उद्यान अधिकारी पारसनाथ, जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पांडेय, एवं इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक सर्वजीत वर्मा अपने अधिकारियों सहित उपस्थित रहे । सभा का शुभारंभ करते हुए। कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर बी.पी. साही ने बताया की वर्ष 2023 में भारत की अगुवाई में दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है । जिसमें पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। डॉक्टर शाही ने कहां की पोषण अनाज (मिलेट्स) जलवायु प्रतिरोधी क्षमता वाली फसलें हैं।जो लगभग 131 देशों में उगाई जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम पर मोटे आनाज की, फसलों जैसे साॅवा,कोदो,रागी ,सोयाबीन की विभिन्न प्रजाति लगाई गयी है।जिसे उपकार के महानिदेशक एवं भाजपा जिला उपाध्यक्ष ने अवलोकन किया । उपकार के महानिदेशक डा.सजय सिंह ने बताया कि पोषक अनाज हर तरह की सहनशील फसल है। जो क्षारीय अम्लीय मिट्टी में भी उगाई जा सकती है । क्यों प्रकृति की प्रतिकूल परिस्थितियां भी ऐसी फसलों में उत्पादकता को नीचे गिरने नहीं देती। जहां पर अन्य फसलें जैसे मक्का या गेहूं नहीं उगाई जा सकती वहां पर यह आसानी से हो जाती हैं। आज की मांग बायोफोर्टीफाइड प्रजाति जैसे गेहूँ की प्रजाति-डी बी डब्ल्यू 187,डब्ल्यू बी-02, एच पी बी डब्ल्यू 01 पिछेती बुआई की प्रजाति एच डी 3298, डी बी डब्ल्यू-173, पी बी डब्ल्यू 752 ,पी बी डब्ल्यू 757 एवं डी बी डब्ल्यू 173 आदि। केंद्र के डॉ शैलेंद्र सिंह ने बताया कि यह भोजन के लिए उगाई जाने वाली अनाज की प्रथम फसल है। जो एशिया और अफ्रीकी देशों में लगभग 60 करोड़ लोगों के लिए यह पारंपरिक भोजन है ।जिसमें बाजरा ज्वार रागी कोदो सावा आज फसलें शामिल है। इसी क्रम में केंद्र के वैज्ञानिक डॉ पी.के .सिंह ने बताया कि मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80% वैश्विक उत्पादन का 20% है यही पोशाक अनाज जिनको कंदन अनाज भी कहा जाता है। जो मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी उत्पादित किए जा सकते हैं ऐसी फसलों का विशेष गुण है। कि यह उच्च तापमान सूखे मिट्टी की कम उर्वरता अधिक तापमान व क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार खुद को अनुकूल बना लेती हैं। इसी क्रम में इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक सर्वजीत वर्मा ने बताया कि इफको इस तरह के महा अभियान का हिस्सा है। जिसमें 100 कृषक महिलाओ को पोषण वाटिका किट और 20 प्रगतिसील किसानो को राई का बीज, और फूलों के 100 पौधे भी वितरित किए गए । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए।कार्यक्रम में रण विजय सिंह उपाध्यक्ष भाजपा ने बताया कि रागी जैसी फसल देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग मौसम में उगाया जाता है वर्षा आधारित फसल के रूप में जून माह में इसकी बुवाई की जाती है। रणविजय ने बताया कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71 वां जन्मदिवस उस के शुभ अवसर पर मोदी जी की लंबी उम्र की कामना भी की। उप कृषि निदेशक डॉ टी पी शाही ने कहा कि पोषक फसलें एक सूखा विरोधी फसलें हैं। इन फसलों को शुष्क और आदर्श जलवायु जैसी कठोर परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है।इन फसलों में पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है। निर्जल भूमि में भी इसे उगाया जा सकता है।इफको के क्षेत्रीय प्रबन्धक सर्वजीत वर्मा ने इफको के संचालित अपने नैनो यूरिया,नैनो डी ए पी एवं पोटाश एवं जलविलेय उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी । अंत में केंद्र के अध्यक्ष डॉ बीपी शाही ने बताया कि इन फसलों को चमत्कारी अनाज या भविष्य की फसल भी कहा जाता है जो आध्यात्मिक पौष्टिक तत्वों से भरा अन्न है।संचालन डॉ पी के सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच ने पोषण वाटिका में लगने वाले कीट एवं बीमारी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी ।केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा शैलेन्द्र सिह ने मोटे अनाज जैसे सावा, कोदो,रागी एवं मडुआ के खेती के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी । इसी क्रम केंद्र के बैज्ञानिक डा अरूण कुमार राजभर ने बताया कि यह जिला वर्षा आधारित क्षेत्र के रूप में यहां के निवासियों विशेष रुप से दूरस्थ आदिवासियों के लिए प्रधान है। जो मानव के लिए खाद्यान्न और जानवरों के लिए चारा दोहरे उद्देश्य फसलों के रूप में भी लिया जाता है। श्री सुनील कुमार ने पोषण वाटिका स्थापित करने के लिए विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी। डा नन्दन सिहं ने बताया कि पोषण में फल एवं सब्जियों का महत्व के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी ।डा नीरज कुमार सिहं ने पोषण वाटिका एवं पोषण थाली के महत्व के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी । डा शाही जी ने अंत में कार्यक्रम में आए सभी कृषक वर्ग एवं सभी सम्मानित अधिकारी गण का आभार व्यक्त किया। प्राकृतिक खेती के बारे में कुछ प्रगतिशील कृषक जगन्नाथ मौर्य, राजेश मौर्या, जिआउल्हक, सुनील, अमरीश, रिजवान, लक्ष्मी देवी,प्रमोद कुमार, दिनेश मौर्य और अन्य किसानो में अपने विचार भी प्रकट किए । कार्यक्रम के दौरान केंद्र के सभी कर्मचारी संजय पांडे, राजीव, कुसग्र सिंह, रहीस खान, चंद्र प्रकाश, और बगेस्वरी उपस्थित रहे।
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