चंडीगढ़ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) वाई पूरन कुमार की आकस्मिक मृत्यु ने सभी को चौंका दिया है। मंगलवार को चंडीगढ़ स्थित अपने घर पर 52 वर्षीय अधिकारी ने कथित रूप से खुद को गोली मार ली, जिससे पुलिस और प्रशासन में हलचल मची हुई है।
पूरी घटना उनके घर के बेसमेंट के एक कमरे में हुई, जहां शव गोली लगने के निशान के साथ मिला। वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप और उनके भ्रष्टाचार विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले पूरन कुमार को हाल ही में रोहतक के सुनारिया पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (पीटीसी) में महानिरीक्षक के पद पर स्थानांतरित किया गया था। इससे पहले वह रोहतक रेंज के आईजी के पद पर तैनात थे।
सूत्रों के अनुसार, उनके गनमैन हेड कांस्टेबल सुशील कुमार के खिलाफ हाल ही में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था। सुशील कुमार ने पुलिस हिरासत में स्वीकार किया कि उसने आईपीएस अधिकारी के कहने पर मासिक रिश्वत मांगी थी। रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में शराब कारोबारी से 2 से 2.5 लाख रुपये मासिक रिश्वत लेने का आरोप लगते ही FIR दर्ज की गई थी।
29 सितंबर को सरकार ने पूरन कुमार को रोहतक रेंज से सुनारिया पीटीसी में स्थानांतरित कर दिया था। पुलिस विभाग में यह स्थानांतरण सज़ा के रूप में देखा गया।
चंडीगढ़ पुलिस के अनुसार, घटनास्थल से कई साक्ष्यों के साथ एक “वसीयत” और नौ पृष्ठों का अंतिम नोट बरामद किया गया। सूत्रों के अनुसार, इस नोट में अधिकारी के निजी विचार और तनाव के संकेत मौजूद हैं, जो उनकी रहस्यमयी मौत की तह में नई पहेली जोड़ते हैं।
इस घटना ने न केवल हरियाणा पुलिस प्रशासन में सवाल खड़े किए हैं, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार से जुड़े दबावों पर भी बहस शुरू कर दी है।
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