

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग और कंपोज़िट रीजनल सेंटर फ़ॉर स्किल डेवलपमेंट, रिहैबिलिटेशन ऐंड एम्पावरमेंट ऑफ़ पर्सन्स विथ डिसएबिलिटीज़ (सीआरसी), गोरखपुर के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह केंद्र नेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर द एम्पावरमेंट ऑफ़ पर्सन्स विथ विज़ुअल डिसएबिलिटीज़ (एनआईईपीवीडी), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन संचालित है। समझौते का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग और संस्थागत समन्वय को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. अनुभूति दुबे, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय कुमार, सीआरसी गोरखपुर के निदेशक जितेन्द्र यादव, सहायक प्रोफ़ेसर (क्लीनिकल साइकोलॉजी) राजेश कुमार तथा स्पेशल एजुकेटर (वीआई) नागेन्द्र पांडेय उपस्थित रहे। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि यह एमओयू छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और संवेदनशीलता में दक्ष बनाएगा तथा समाज में समावेशन की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगा।
समझौते के अंतर्गत मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों को सीआरसी गोरखपुर में इंटर्नशिप, फील्ड विज़िट और प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और सामुदायिक मनोविज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा। पुनर्वास मनोविज्ञान और दिव्यांगता अध्ययन पर विशेष प्रशिक्षण सत्र, कार्यशालाएँ और मॉड्यूल विकसित किए जाएंगे। दिव्यांगता एवं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरूकता के लिए संयुक्त कार्यक्रम, शिक्षकों हेतु एक्सचेंज प्रोग्राम, कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित किए जाएंगे तथा शोध, पुस्तकालय और अन्य शैक्षणिक संसाधन साझा किए जाएंगे।
यह समझौता तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा जिसे आपसी सहमति से आगे बढ़ाया जा सकेगा। यह एमओयू शिक्षा, अनुसंधान और समाज सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होगा और समाज में समावेशन एवं संवेदनशीलता को नई दिशा मिलेगी।