June 1, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

माँ

माँ’ गुणों की खान होती है,
माँ जैसा कोई नहीं
माँ शब्द है बहुत छोटा,
पर इसका अर्थ बहुत व्यापक है।
माँ शब्द की परिभाषा,
नहीं थोड़े में आवत है।
माँ प्यार है, दुलार है,
माँ धैर्य है, शक्ति है।
माँ ममता की मूर्ति है,
माँ दया की सागर है।
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ के आँचल में रक्षा है,
सुरक्षा है,
माँ क्षमा और त्याग का नाम है।
माँ तपस्या है, चिंता है,
माँ व्रत है, पूजा है।
माँ खुशी है, हँसी है,
माँ सजाती है, संवारती है।
माँ हिम्मत है, ताकत है,
माँ प्रतिभा है, सम्मान है।
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ प्रार्थना है, आशीर्वाद है,
माँ सहारा है, सहयोग है।
माँ छाँव है, छाया है,
माँ आत्मा है, सृष्टि है।
माँ आशा है, विश्वास है,
माँ नैया है, पतवार है।
माँ शिक्षक है,मित्र है,
माँ सेवा है, संस्कार है।
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ तीर्थ है, यात्रा है,
माँ योग है, व्यायाम है।
माँ खेल है, खिलाड़ी है,
माँ गीत है, संगीत है।
माँ उन्नति है, कीर्ति है,
माँ आस्था है, आस है।
माँ स्वर्ग है, मोक्ष है,
माँ भगवान का ही दूसरा रूप है।
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ साहस है, अहसास है,
माँ प्रेरक है, प्रेरणा है।
माँ धरती है, आसमान है,
माँ अनुभूति है,सहानुभूति है।
माँ मधुरता है, सभ्यता है,
माँ भाव है, भावना है।
माँ सौंदर्य की मूरत है,
माँ जननी है, संरक्षणी है।
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ आलोचक है, प्रशंसक है,
माँ प्रोत्साहन है, पुरस्कार है।
माँ दिन है, रात है,
माँ दु:ख है, सुख है।
माँ दर्पण है, अर्पण है,
माँ दर्शक है, मार्गदर्शक है।
माँ सद्व्यवहार है,सदाचार है,
माँ जैसा कोई नहीं।
माँ परमात्मा की अद्भुत रचना है,
जिसमें ये सब समाया है।
माँ के प्रतिबिम्ब के रूप में ही,
हमने जन्म पाया है।
माँ का स्थान कोई
नहीं ले पाया है,
माँ ‘माँ’ होती है वास्तव में-
यह कथन हमने सत्य पाया है।
माँ जैसा कोई नही।

बीना शर्मा,वरिष्ठ कवयित्री व लेखिका,प्रधानाध्यापिका
पूर्व मा0 वि0 लखौरा, क्यारा,बरेली,उत्तर प्रदेश