March 13, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

मोदी सरकार देश के संविधान, लोकतंत्र और स्वाभिमान पर बड़ा खतरा : दीपंकर भट्टाचार्य

भाकपा (माले) का 14वां राज्य सम्मेलन शुरु

सम्मेलन के मौके पर, नफरत की राजनीति व बुल्डोजर राज के खिलाफ भाकपा (माले) ने सिकंदरपुर में प्रतिवाद मार्च निकाला

सिकंदरपुर /बलिया(राष्ट्र की परम्परा)

अमरीका द्वारा हथकड़ी लगाकर 104 भारतीयों को अपने सैनिक जहाज से वापस भेजना भारत की जनता और उसके राष्ट्रीय स्वाभिमान पर हमला है। एक ओर, जहां कोलंबिया जैसे छोटे देश, इस अपमानजनक व्यवहार का विरोध कर रहे है, वहीं मोदी अमरीका में जाकर इस कदम को मानव तस्करी की वैश्विक व्यवस्था को ध्वस्त करने की नीति से रूप में अपना समर्थन दे आते हैं। गुजरात वो राज्य है, जहां मोदी मॉडल ने इस मानव तस्करी को अपने तीन दशक के शासन काल में बढ़ाया है। यह बात भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आज यहां नगरा रोड स्थित तुलसी पैलेस में पार्टी के 14वें राज्य सम्मेलन के खुले उद्घाटन सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये 400 से ऊपर प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक हिस्सा ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र के शुरू में वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता मुख्तार अहमद ने झंडारोहण किया। दो दिवसीय राज्य सम्मेलन रविवार तक चलेगा। सम्मेलन की शुरुआत से पूर्व, नफरत की राजनीति व बुल्डोजर राज के खिलाफ भाकपा (माले) ने सिकंदरपुर चौराहा के निकट गांधी आश्रम से तुलसी पैलेस तक प्रतिवाद मार्च निकाला। मार्च में सैकड़ों की तादाद में शामिल महिला व पुरूष हाथों में लाल झंडे लेकर तनी हुई मुठ्ठियों के साथ मोदी-योगी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। कामरेड दीपंकर ने मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान हुए समझौतों का जिक्र किया और कहा कि जब भारत का रुपया 87 रु प्रति डॉलर पहुंच गया तब, ट्रंप के दबाव के आगे, रूस से तेल व्यापार रोकने की चेतावनी सुनकर मोदी वापस लौट आए। इससे ब्रिक्स देशों की एकता और डॉलर के खिलाफ एकजुटता को गहरी चोट पहुंची है।
राष्ट्रीय बजट पर बोलते हुए का दीपांकर ने कहा की एक लाख रुपए मासिक आय वालों को आयकर से मुक्त करने पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि जीएसटी का बोझ जनता के हर तबके की कमर तोड़ रहा है। बजट में स्कीम वर्करों, जैसे आशा, आंगनवाड़ी, रसोइया आदि की कोई चर्चा नहीं की गई है, जिनकी आय बहुत ही कम है। उत्तर प्रदेश में मिड डे मील रसोइया 1650 रु प्रति माह मिलता है, जबकि केरल व तमिलनाडु में उन्हें क्रमशः 12 हजार व 10 हजार रु प्रतिमाह दिया जाता है। दीपंकर ने कहा कि दिल्ली के चुनाव ने दिखाया कि कैसे एक विपक्षी पार्टी के नेताओं को जेल भेजकर सरकार को काम नहीं करने दिया गया। राज्य सरकार के अधिकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट जब खड़ा हुआ, तो मोदी सरकार ने विशेष कानून बनाकर आप सरकार के पर कतरे। आने वाले दिनों में बिहार के चुनाव हैं, जहां यह कोशिश करनी होगी कि देश हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के रास्ते न बढ़कर, झारखंड और उत्तर प्रदेश, जहां क्रमशः विधानसभा और लोकसभा चुनाव के उत्साहवर्धक परिणाम आये थे, के रास्ते आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जनता के विभिन्न हिस्सों की भागीदारी को मजबूत करने के लिए, पटना में दो मार्च को ‘बदलो बिहार महाजुटान’ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी तीन राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव – इस साल बिहार में, अगले साल बंगाल में और 2027 में उत्तर प्रदेश का चुनाव – कोई मामूली चुनाव नहीं, बल्कि देश का भविष्य तय करने वाले चुनाव होंगे। ये संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण चुनाव होंगे। कामरेड दीपंकर ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल के उस वक्तव्य की आलोचना की जिसमें भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक का दिन (22 जनवरी 2024) भारत की सच्ची आजादी की स्थापना का दिन है। कामरेड ने कहा की भागवत का यह वक्तव्य भारत की आजादी और संविधान को खारिज करने वाला वक्तव्य है। इसी तरह गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में भारत के संविधान के लेखक बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की। यह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि संविधान-विरोधी लोगों के हाथों में बढ़िया से बढ़िया संविधान भी दे दिया जाए, तो वे उसका खराब उपयोग ही करेंगे। यही हाल इस समय अपने देश का है। देश और उत्तर प्रदेश की सत्ता में संविधान-विरोधी लोग काबिज हैं। माले महासचिव ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की परियोजना कारपोरेट की मदद से आगे बढ़ रही है। अडानी जैसों को इसमें शामिल कर लिया गया है। जंगल, जमीन से लेकर खदान, नदी, बंदरगाह, हवाई अड्डा सब कुछ कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है। भाजपा सरकार ने हिन्दू-हिन्दू कहकर महाकुंभ में लोगों को बुलाया, लेकिन भगदड़ में मरे लोगों की वास्तविक संख्या सरकार आज तक नहीं बता सकी है।
माले नेता ने कहा कि फासीवाद के खिलाफ लड़ाई सौ साल पुरानी है। देश में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना का यह सौवां साल है। आरआरएस के बने भी सौ साल हो रहे हैं। फासीवाद के खिलाफ लड़ाई की जिम्मेदारी आज के कम्युनिस्टों पर ही है। बाबा साहब के संविधान को बचाने के लिए बड़ी एकता की जरूरत है। आज की लड़ाई निर्णायक है। उन्होंने कहा कि हिटलरशाही जब नहीं चली, तो मोदीशाही की हार भी निश्चित है।उदघाटन सत्र को आरा (बिहार) के भाकपा (माले) के सांसद सुदामा प्रसाद, बिहार विधानसभा में पार्टी विधायक दल के उपनेता व विधायक सत्यदेव राम, लखनऊ से आईं सामाजिक कार्यकर्ता व लेखिका नाइस हसन, वरिष्ठ माले नेता अमर यादव और सीपीआई के राज्य सचिव अरविंद राज स्वरूप ने भी संबोधित किया। इस दौरान मंच पर भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, पार्टी के बिहार राज्य सचिव कुणाल, उत्तर प्रदेश सचिव सुधाकर यादव, केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा व किसान नेता उमेश प्रसाद भी मौजूद रहे। संचालन माले जिला सचिव लाल साहब ने किया।