संकट की घड़ी में मानसिक स्वास्थ्य सहयोग केवल उपचार का माध्यम नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा और सामुदायिक पुनर्निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम है: डॉ नरेंद्र
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर हुआ विशेष व्याख्यान: आपदा एवं आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग ने इक्वल ऑपर्च्युनिटी सेल के सहयोग से “आपदा एवं आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में संपन्न हुआ, जिसमें शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की संरक्षिका कुलपति प्रो. पूनम टंडन रहीं। विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य जीवन के हर आयाम से जुड़ा है। यह व्यक्ति की आंतरिक शांति का आधार होने के साथ-साथ समाज की सामूहिक प्रगति का भी मूल तत्व है।
मुख्य वक्ता के रूप में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से डॉ. नरेंद्र सिंह ठगुन्ना ने आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच व उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में मानसिक स्वास्थ्य सहयोग केवल उपचार का माध्यम नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा और सामुदायिक पुनर्निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम है। उन्होंने नेपाल में चल रहे इमर्जेंसी मेंटल हेल्थ एंड साइकोसोशियल सपोर्ट (एमएचपीएसएस) कार्यक्रम और सुसाइड प्रिवेंशन फैसिलिटेशन ट्रेनिंग (एसपीएफटी) जैसे प्रशिक्षण मॉड्यूल की सफलताओं का उल्लेख किया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. केएन त्रिपाठी, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के अध्ययन में सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपदाओं की स्थिति में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका केवल क्लिनिकल हस्तक्षेप तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे समाज में आशा, संवेदना और संतुलन के पुनर्निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. अनुभूति दुबे ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता आज की सबसे बड़ी सामाजिक आवश्यकता है और युवाओं को इस दिशा में नेतृत्व करना चाहिए।
कार्यक्रम का संयोजन एवं सफल संचालन डॉ. गरिमा सिंह ने किया और आभार ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल ज्ञानवर्धक होते हैं, बल्कि वे संवेदना और मानवता के मूल्यों को सुदृढ़ करते हैं।
आयोजन सचिव डॉ. रामकीर्ति सिंह ने प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में सेफ सोसाइटी के सदस्य भी ऑनलाइन जुड़े रहे।
इस अवसर पर डॉ. विस्मिता पालीवाल, डॉ. ओम प्रकाश सिंह, डॉ. कल्पना दिवाकर, डॉ. रश्मि रानी, डॉ. प्रियंका गौतम समेत अन्य शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।