देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) बिना मानव के संचालित हो रहे बहुतायत मात्रा में मेडिकल स्टोर धड़ल्ले से बेची जा रही है प्रतिबंधित दवाइयां चिकित्सा विभाग आंख बंद कर सब देख रहा है।यह भी नहीं कहा जा सकता है की विभाग को इसकी जानकारी नहीं है । कही ना कही चिकित्सा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के साठ गांठ से ही धंधा फल फूल रहा है । मेडिकल स्टोर संचालन के लिए सरकारी दिशा निर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत औषधि विभाग द्वारा मेडिकल स्टोर खोलने वाले व्यक्ति के पास 10 वी सामान्य विषय और 11-12 बायो से पढ़ाई की हो और इसके बाद फार्मेसी कोर्स किया हो यदि नहीं किया तो किसी को नौकरी पर रखे और उसका स्टोर पर रहना अनिवार्य है । लेकिन जमीनी हकीकत इसके इतर है ।
सलेमपुर तहसील में हजारों की संख्या में मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं हर चट्टी चौराहे पर मेडिकल स्टोर है। सलेमपुर शहर के अंदर तो मेडिकल स्टोर की भरमार ही है कोई ऐसी गली बाकी नहीं होगी जहां मेडिकल स्टोर ना हो अच्छी बात भी है मेडिकल स्टोर होना चाहिए लेकिन इन मेडिकल स्टोरों द्वारा सरकारी दिशा निर्देश का पालन करते नहीं देखा जा सकता मेडिकल स्टोर खोलने और दावों के रख रखाव का सरकारी निर्देश है। कुछ मेडिकल स्टोर को छोड़ दिया जाए तो कोई सरकारी दिशा निर्देश के हिसाब से मेडिकल स्टोर का संचालन नहीं कर रहा है आए दिन गलत चिकित्सा और गलत दबाव के उपयोग से लोग बीमार हो रहे हैं या अपनी जान गवा रहे हैं।। ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर लोग छोटी-मोटी बीमारियों में डॉक्टरों की महंगी फिश से बचने के लिए अक्सर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर उपयोग कर लिया करते हैं यदि मेडिकल स्टोर संचालक के पास दबा का सटीक ज्ञान ना हो उनके द्वारा दी गई दवाई भी आम लोगों के लिए हानिकारक साबित होती है कुछ दबाए जो की भारतवर्ष में प्रतिबंधित है और इनके इनके आम लोगों के लिए बिक्री पर रोक है इन दावों को एमबीबीएस डॉक्टर के पर्चे पर ही दिए जाने का दिशा निर्देश है। बावजूद इसके सलेमपुर तहसील में मेडिकल स्टोर पर मोटी कमाई के लिए धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवाई बिक रही हैं कुछ दवाओ का उपयोग युवा नशे के रूप में कर रहे हैं। और आए दिन कोई न कोई युवा इन दवाओ के दुष्प्रभाव से बीमार और फिर जान गवा रहे है।सलेमपुर तहसील में झोलाछाप डॉक्टरों की भी भरमार है जिनके द्वारा फर्जी पर्चा बनाकर दे दिया जाता हैं । इसमें मेडिकल स्टोर संचालकों और उन डॉक्टरों के मिली भगत के तहत पर्चा लाख जाता है और दवाइयां बेची जाती हैं जिले के चिकित्सा विभाग के अधिकारियो को भी कोई फर्क नहीं पड़ता विभाग में बैठे लोग
मूक दर्शक बनकर देख रहे हैं और अवैध तरीके से मेडिकल स्टोर का संचालन और गैर कानूनी हॉस्पिटलों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है ।इसके फल स्वरूप आम जन मानस इन हॉस्पिटलों के चक्कर में आए दिन जान गवा रहे है ।
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