July 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

सरसों के अधिक उत्पादन के उपाय

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)l आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, नानपारा के वरि. वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ केएम सिंह ने बताया कि जब सरसों व लाही के खेत में फूल डूबने की अवस्था पर पानी नहीं लगाना चाहिए। पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार ने सरसों में बीज बनने की प्रक्रिया को कैसे बढ़ाया जाए इसके बारे में बताया यदि बीज बनने की प्रक्रिया तेज गति से होगी तभी सरसों का उत्पादन भी अधिक होगा। सरसों में परागण की प्रक्रिया मधुमक्खी के द्वारा होती है, यदि किसान भाई मधुमक्खी पालन सरसों के खेत के आसपास करते हैं, तो उन्हें शहद का उत्पादन भी मिलेगा और सरसों में बीज बनने की प्रक्रिया के लिए पराग मधुमखियों द्वारा तेज गति से करेंगी, जिससे सरसों का उत्पादन भी अधिक होगा।

सिंचित व कम पानी की स्थिति में सरसों की अधिक उपज लेने हेतु 500 पीपीएम थायोयूरिया (5.0 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) या 100 पीपीएम थायोग्लाइकोलिक एसिड (1.0 मि. ली. प्रति 10 लीटर पानी) का घोल बनाकर दो छिड़काव 50 प्रतिशत फूल अवस्था पर (बुआई के लगभग 40 दिनों बाद) तथा दूसरा छिड़काव उसके 20 दिनों बाद करने से फूल व फली बनने की प्रक्रिया अधिक होगी। डॉ हर्षिता ने बताया कि यदि महूँ का प्रकोप दिखे तो इमिडाक्लोप्रिडइस या थायमे थोक्साम का स्प्रे करें। इस प्रकार किसान भाई अगर सरसों की खेती करते हैं तो वह अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।