
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस खास दिन पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ये दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। करवा चौथ पर महिलाएं व्रत रखने के साथ-साथ विधिनुसार पूजा-अर्चना भी करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है।
इस अवसर पर सभी को करवा चौथ पर्व कि हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि करवा चौथ व्रत पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य तथा सौभाग्य के साथ साथ जीवन के हर क्षेत्र में उनकी सफलता की कामना से सुहागिन महिलाओं द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, जो सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत एवं त्यौहार है। इस पर्व में चंद्रमा काफी महत्वपूर्ण है। करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं, लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए यह व्रत इन सभी व्रतों में सबसे अहम स्थान रहता है। यह व्रत महिलाओं के लिए चूड़ियों का त्यौहार नाम से भी प्रसिद्ध है। महिलाएं अन्नजल ग्रहण किए बिना अपार श्रद्धा के साथ यह व्रत रखती हैं तथा रात्रि को चांद के दर्शन करके अर्ध देने के बाद भी व्रत खोलती हैं। यही वजह है कि यह व्रत अखंड सुहाग का प्रतीक है। यह अन्य सभी व्रतों के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है। इस व्रत को कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को तोड़ने के पूर्व महिलाएं दुल्हन की तरह सजती-धजती हैं, फिर एक गोल करवा या आटा छन्नी में पति का चेहरा और चंद्र का दर्शन एवं पूजन करने के बाद ही व्रत तोड़ती हैं। सूर्योदय से सुहागन स्त्रियां दिनभर के लिए भूखी रहती हैं। दिन में चंद्रमा, भगवान शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। दोपहर के वक्त स्त्रियां इस व्रत से संबंधित कथा सुनती हैं। इसके पश्चात रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है, जिसमें पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
शर्मा ने कहा कि आकाश में चांद दिखने पर महिलाएं छलनी से चन्द्रमा और पति का चेहरा देखती हैं, इसके पश्चात पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत की पूर्ण विधि को समाप्त करता है। करवा का अर्थ मिट्टी का बर्तन और चौथ का अर्थ चतुर्थी तिथि होता है। करवा चौथ के दिन सुहागन स्त्रियां करवे का खास विधि-विधान से पूजन करती हैं। इस व्रत पर शादीशुदा स्त्रियां चंद्रमा की पूजा करती हैं। पूजा की सामग्री में सिन्दूर, कंघी, शीशा, चूड़ी, मेहंदी आदि दान में दिया जाता है। करवा चौथ के चलते बाजारों में महिलाओं की खासी भीड़ दिखाई पड़ती है। महिलाएं नए कपड़ों को खरीदने साथ ही डिजाइनर करवे भी खरीदती हैं। यह पर्व रिश्तों को मजबूत बनाने वाला होता है, जिस कारण यह पति-पत्नी दोनों के लिए ख़ास महत्व रखता है। यही कारण है कि करवा चौथ वाले दिन पत्नी द्वारा अपने पति की लंबी आयु और उसकी सुख-समृद्धि के लिए की गई, पूजा-अर्चना पति की जिंदगी में पत्नी की अहमियत को ओर भी ज्यादा बढ़ा देती है। उत्तर भारत के हर प्रांत में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
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