November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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भारतेन्दु सभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर की मनाया गया महापरिनिर्वाण दिवस

वाराणसी(राष्ट्र की परम्परा)
पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के भारतेंदु सभागार में मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का 68 वाँ महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया । इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) राजेश कुमार सिंह, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर समन्वय राकेश रंजन,वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक प्रीती वर्मा,वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक ए.पी.सिंह, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शेख रहमान,वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी समीर पॉल,वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर रजत प्रिय, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(सामान्य) पंकज केशरवानी,वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त डॉ अभिषेक, सहायक मंडल वित्त प्रबंधक एस.आर.के.मिश्रा, सहायक कार्मिक अधिकारी रमेश उपाध्याय, कार्मिक विभाग के निरीक्षकों समेत अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी एशोसियेशन के सदस्यों,एन ई रेलवे मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बाबा साहब के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजली दी ।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में विनीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर, भारत ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व की एक महान विभूति थे । अपने जीवन के संघर्षो को अपनी अटूट लगन, ज्ञान एवं परिश्रम के सहारे उन्होंने पीछे छोड़ा और सम्पूर्ण समाज के लिए एक मिसाल छोड़ गये ।
बाबा साहब ने समाज मे व्याप्त बिखराव और असमानता की संकीर्णताओं से बाहर निकलने का रास्ता खोजा और दूसरों के लिए राह आसान बनायी इसके पीछे उनके स्वयं के जीवन में घटी घटनायें और विषमताएं थीं. जिसे महसूस करके आने वाली पीढियों को उनसे मुक्त रखने के लिए उन्होंने दृढ निश्चय किया था। महिला उत्थान के लिए भी आजीवन संघर्षशील रहे। नारी शिक्षा और समानता के सन्दर्भ में उन्हीं के प्रयासों से बहुत सारी कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रुप मिला, जिनसे आज सारा समाज लाभान्वित हो रहा है। बाबा साहब ने अपने जीवन में एक अद्वितीय उदाहरण बनकर, तमाम वंचितों- उपेक्षितों और बेसहारा लोगोंके लिये प्रेरणास्रोत बनकर एवं मार्गदर्शन देकर उनका उद्धार कर दिया | शिक्षा और समानता को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करके सारे समाज को एक राह पर लाने का अविस्मरणीय कार्य किया।
सम्पूर्ण देश उनके द्वारा की गयी अनमोल सेवाओं के लिए उनका आभारी रहेगा एवं उनके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलकर सामूहिक रुप से एक शिक्षित, सभ्य, संवेदशील समाज के रूप में समग्र उन्नति करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
आज 6 दिसंबर को हम सब संविधान के रचयिता और दलितों के मसीहा बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि मना रहे हैं । 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी। डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि को देश भर में महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मतलब ‘मौत के बाद निर्वाण’ होता है। बौद्ध धर्म के मुताबिक कोई व्यक्ति निर्वाण तब प्राप्त करता है जब वह संसारिक इच्छाओं, मोह माया से मुक्त हो जाता है। निर्वाण की अवस्था हासिल करना बेहद कठिन होता है। इसके लिए बहुत ही परोपकारी,सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन जीना होता है। कुछ ऐसा ही जीवन बाबा साहब का भी रहा । बाबा साहब ने अपने संपूर्ण जीवन में विभिन्न विषयों को अध्ययन किया गहनता से उसका मनन किया और उसके निचोड़ के रूप में भारत के संविधान के प्रमुख कर्ता-धर्ता के रूप में अपना योगदान उन्होंने दिया और भारतीय संविधान के रूप में एक ऐसी मिसाल रखी है, जिसकी पूरी दुनिया में नजीर भी दी जाती है ।
हम सब का कर्तव्य है कि उसी भाव को उसी दृष्टि को और उसी परिश्रम को अनुसरण करते हुए बाबा साहब के बताए हुए मार्ग पर चलें और देश के विकास में अपना अपना योगदान करें।
इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में कल्लू राम सोनकर/मंडल मंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति कर्मचारी एशोसियेशन , राजेन्द्र प्रसाद एवं मंडल मंत्री एन ई रेलवे मजदूर यूनियन एन.बी.सिंह ने बाबा साहब के संघर्षो एवं जनहितकारी उद्देश्यों पर अपने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम का संचलन एवं धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी समीर पॉल ने किया ।