December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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भारतीय भाषा उत्सव के अंतर्गत मनायी गई महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती

संगम साहित्य देश की साझी सांस्कृतिक विरासत:डीएम

सभी भारतीय भाषाओं में है ज्ञान का अकूत भंडार: डीएम

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)

कश्मीर से कन्याकुमारी तक बोली जाने वाली सारी भाषाएं हमारी है। हम उनके हैं, वे हमारे हैं। आधुनिक तमिल भाषा के महाकवि सुब्रमण्यम भारती ने पारंपरिक तमिल सांस्कृतिक आख्यानों में आधुनिक प्रगतिशील एवं सुधारवादी विचारधारा का समावेश किया, जिससे राष्ट्रवाद की धारा को मजबूती मिली और देश स्वतंत्रता के पथ पर तीव्र गति से अग्रसर हुआ।

उक्त बातें जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने नागरी प्रचारिणी सभा के तुलसी सभागार में भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।जिलाधिकारी ने कहा कि ‘पंचाली शपथम’ और ‘कन्नन पत्तु’ जैसी प्रतीकात्मक रचना के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। इन रचनाओं का हिंदी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया।
जिलाधिकारी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में सुब्रमण्यम भारती के योगदानों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि ‘इंडिया’ तथा ‘विजया’ नामक जर्नल में प्रकाशित लेखों से उन्होंने ब्रिटिश राज के वास्तविक चरित्र से जनता को रूबरू कराया। सुब्रमण्यम भारती ने अपने व्यक्तित्व से उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का कार्य किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। सभी भारतीय भाषाओं में ज्ञान का अकूत भंडार छिपा है। तमिल भाषा का संगम साहित्य पूरे देश की साझी विरासत है। हर भारतीय को उसे पढ़ना चाहिए, जिससे उसे देश की विशालता और सांस्कृतिक धरोहरों की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ वाराणसी में ‘काशी तमिल संगमम’ का शुभारंभ किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों के कई पहलुओं, ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना है और हमारी साझी विरासत के समझ पैदा करना है। इससे राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलेगी।
नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष परमेश्वर जोशी ने भी महाकवि सुब्रमण्यम भारती के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम भारती को उनके योगदान की वजह से महाकवि भारतियार की उपाधि दी गई। उन्हें तमिल के साथ-साथ संस्कृत, हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था। वे उत्तर व दक्षिण भारत के मध्य मजबूत सेतु की भाँति थे।
इससे पूर्व कार्यक्रम का औपचारिक प्रारंभ सुब्रमण्यम भारती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। विनीता पांडेय ने भोजपुरी में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। विष्णुकांत त्रिपाठी तथा खुशी मणि त्रिपाठी सहित विभिन्न छात्रों ने सुब्रमण्यम भारती के जीवनी पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर जीआईसी के प्रधानाचार्य प्रदीप शर्मा, उप प्रधानाचार्य महेंद्र प्रसाद, नागरी प्रचारिणी सभा के महामंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी, अवधेश त्रिपाठी, अभय द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में स्कूली छात्र व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।