
भारत के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में देवी दर्शन के लिए आते है, देवी भक्त
बहराइच ( राष्ट्र की परम्परा) नेपाल के बांके जिले के नेपालगंज शहर के घरवारी टोल में स्थित बागेश्वरी माता मन्दिर वर्षो से लोगों व भक्तों के लिए हमेशा आस्था का केंद्र रही है। बागेश्वरी मंदिर का इतिहास बताते हुए नेपाल अवधि सांस्कृतिक समाज नेपालगंज जिला बांके के संयोजक विष्णु लाल कुमाल ने बताया की ईशा की 14 वीं शताब्दी के आसपास नेपाली जिला जुम्ला के नाथ संप्रदाय के दो संन्यासी भारतीय तीर्थ स्थलों में जाने के लिए आए थे देर हो जाने के कारण जिस स्थान पर मंदिर है उस स्थान पर रात निवास के लिए रुके हुए थे। उस समय यह बांकेश्वरी मंदिर वाला क्षेत्र एक बहुत बड़ा जंगल था। रात में मां दुर्गे ने गुरुजी के स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यहीं मेरा स्थान है तुम लोग यहां एक मंदिर बनाओ। गुरुजी ने शिष्य को यह बात बताई। गुरु व शिष्य 7 दिनों तक दिन में लकड़ी का मिट्टी से मंदिर बनवाते और रात में गिर जाता। सातवें दिन फिर माता ने स्वप्न में आकर कहा कि बिना बलि दिए यहा मंदिर नहीं बनेगा। गुरु ने शिष्य को आज्ञा दी कि यहां गहरा गड्ढा खोदो मै ही आत्मबल दूंगा। शिष्य ने वैसा ही किया। गड्ढे में गुरुजी बैठ गए, शिष्य ने उसे पाट दिया व मिट्टी लकड़ी का छोटा मंजिल इस घनघोर जंगल में बनवा दिया। श्री कुमाल ने बताया कि मंदिर की दाहिनी ओर आज भी यह स्थान षटकोणीय चबूतरे के रूप में आज भी मौजूद है। यहां पर श्रद्धालु मां बागेश्वरी के दर्शन के बाद इस चबूतरे पर भी माथा टेकते हैं। परंपरागत बागेश्वरी मंदिर की पूजा करने वाले भवानी भक्त डॉ सनत कुमार शर्मा रुपईडीहा बाजार से नित्य दोनों नवरात्रों में बागेश्वरी माता के दर्शन करने जाते हैं। डॉ सनत कुमार शर्मा बताते हैं कि बागेश्वरी मंदिर के पुजारी सुबह 3:00 बजे उठकर निवृत्त हो जाते हैं। मुंह पर पट्टी बांधकर तांत्रिक विधि से सभी कपाट बंद कर माता की आराधना करते हैं। उन्होंने बताया कि परिसर में स्थित गणेश आदि देवताओं के समक्ष धूप करते हैं। उन्होंने बताया कि भक्तों की भारी मनोकामना पूरी होने पर लोग बकरे की बलि देते हैं। वह स्थान चारों ओर से घेर दिया गया है। राज बलि की परंपरा अभी भी कायम है। पंच बलि दी जाती है जो शासन की ओर से निर्धारित है। जो लोग हिंसा में विश्वास नहीं रखते वे लोग खबहा काटकर व नारियल फोड़ कर माता को चढ़ते हैं। शारदीय व वासंतिक नवरात्रों में सभी नव दिन तक मेले जैसा माहौल रहता है। डॉ सनत कुमार शर्मा बताते हैं कि भारत के बलरामपुर के पाटन देवी मंदिर व इस बांकेश्वरी मंदिर का अटूट संबंध है। अहर्निश जलने वाले दोनों मंदिरों के दीपक बुझने पीकर एक दूसरे को ज्योति का आदान-प्रदान भी करते हैं। बागेश्वरी मंदिर का दर्शन करने के लिए श्रद्धालु नेपाल के जिला बर्दिया, बांके, दांग, सुर्खेत, कैलाली आदि जिलों से, तथा भारत के बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर आदि जिलों से देवी भक्त सपरिवार बांकेश्वरी मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर पर श्रद्धा के अनुसार यहां नवरात्रों में मुंडन, उपनयन, पाणिग्रहण तथा अन्य पूजा पाट के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। एक देवी भक्त ने बताया कि पिछले दिनों नेपालगंज के एक होटल में भारत नेपाल के पर्यटन कर्मी जुटे थे। भारत के मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, जयपुर आदि शहरों से 50 लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। सभी ने बांकेश्वरी मंदिर पर जाकर मत्था टेका। इस संबंध में नेपाल पर्यटक बोर्ड बांके जिले के अध्यक्ष श्री राम सिग्देल की प्रेरणा से प्रत्येक सोमवार की शाम महा आरती होती है। नेपालगंज नगर के आस्थावान लोग आरती में शामिल होते हैं। नेपालगंज निवासी वर्तमान में सांसद डॉ धवल शमशेर राणा वर्तमान में बागेश्वरी मंदिर के संरक्षक हैं। प्रतिदिन विधि पूर्वक पूजा की जा रही है।घंटा- घड़ियाल की धुन के साथ मंदिर का वातावरण देवीमय हो रहा है। नेपालगंज जिला बांके में यह माता मंदिर होने के कारण इस मंदिर को बागेश्वरी मंदिर कहा जाता था। इस बागेश्वरी मंदिर के संबंध में अनेकों जनश्रुतियां व किंवदंतियां प्रचलित है। बागेश्वरी मंदिर के ठीक सामने खंडेश्वर महादेव भगवान शंकर की मूर्ति है जो नवरात्र के दिनों में यह शक्ति पीठ देश-विदेश श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित करता है। चैत्र माह के नवमी तक पूजा अर्चना के बाद दसवीं को बहुत बड़ा मेला लगता है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की माता सभी की इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
दोनों नवरात्रों में भारी भीड़ होती है। मां बागेश्वरी के भक्त व आस्था रखने वाले रुपईडीहा कस्बा निवासी अर्जुन कुमार अमलानी बताते हैं कि हर नवरात्र में उनके साथ एडवोकेट घनश्याम दीक्षित, मनोज पाठक, सुनील कुमार जायसवाल, के पी सिंह,नमन कुमार शर्मा, अमित कुमार श्रीवास्तव, विनोद कुमार वैश्य,अजीता शर्मा,अभिगीता शर्मा, आदि देवी भक्त माता के दरबार प्रतिदिन पहुंचते हैं।
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