संगीतमय श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर उमड़ा श्रद्धा-भक्ति का सैलाब
भागलपुर/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। जिले के भागलपुर स्थित जयसवाल धर्मशाला में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर राष्ट्रीय कथावाचक मधुसूदन आचार्य के श्रीमुख से कथा श्रवण हेतु सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कथा के दौरान आचार्य मधुसूदन ने भगवान श्रीराम जन्मोत्सव का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्रीराम तथा उनके चारों भाइयों का नामकरण स्वयं भगवान शिव द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के जन्म के समय उनकी दिव्य ध्वनि देवताओं से लेकर संपूर्ण सृष्टि तक गूंज उठी थी।
रावण के अहंकार और नियति का वर्णन
श्रीराम कथा के दौरान मधुसूदन आचार्य ने रावण प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि अपने अहंकार के कारण रावण स्वयं को अजेय समझ बैठा था, जबकि विधाता द्वारा पहले ही यह निर्धारित कर दिया गया था कि उसका अंत नर और वानर के हाथों होगा।
रावण द्वारा भगवान शिव की आराधना और अपने सिरों के बलिदान की कथा ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
ये भी पढ़ें – एक साथ पांच बदमाशों का हाफ एनकाउंटर, चर्चा में बलिया पुलिस
राम-लक्ष्मण लीला और तुलसी का महत्व
कथा में मेघनाथ, शक्ति बाण, भगवान राम और लक्ष्मण की लीलाओं के साथ-साथ तुलसी के आध्यात्मिक महत्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया। आचार्य जी ने कहा कि भगवान को अर्पित किए गए पुष्प और तुलसी को श्रद्धा, नियम और शुद्ध भाव के साथ ही ग्रहण करना चाहिए।
श्रद्धालुओं की रही विशेष उपस्थिति
इस दिव्य अवसर पर मनोज जायसवाल, शिवशंकर जायसवाल, सतीश जायसवाल, गुलाबचंद यादव, मणि यादव, वासुदेव तिवारी, प्रदीप पांडे, राजू जायसवाल, विपिन जायसवाल, नलनीश तिवारी, कपूर वर्मा, अंकुर जायसवाल, पिंटू वर्मा, दीपक साहनी, अवध नारायण मिश्र, राजेश्वर मिश्र, कृष्णा पांडे, ओमप्रकाश पांडे, विनय जायसवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
ये भी पढ़ें – उर्मिला का वनवास: त्याग, मौन और आंतरिक तपस्या का अदृश्य महाकाव्य
आगे भी जारी रहेगी श्रीराम कथा
कथा के समापन पर आयोजकों ने बताया कि श्रीराम कथा का आयोजन आगे भी जारी रहेगा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में धर्म, संस्कार और भक्ति भाव को सुदृढ़ करना है।
