
नौ दिवसीय रामकथा अमृतवर्षा
कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)
तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत पगरा बसंतपुर के ब्रह्म स्थान पर आयोजित नौ दिवसीय रामकथा अमृतवर्षा व अखंड हरिकीर्तन के चौथे दिन सोमवार की रात्रि कथावाचिका सत्यामणि त्रिपाठी ने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम के नामकरण व बाल लीला का कथा प्रसंग सुनाया।
कथावाचिका ने बताया कि बचपन से ही लक्ष्मण की राम जी के चरणों में प्रीति थी। भरत और शत्रुघ्न दोनों भाइयों में स्वामी और सेवक की जिस प्रीति की प्रशंसा है, वैसी प्रीति हो गई। वैसे तो चारों ही पुत्र शील, रूप और गुण के धाम हैं, लेकिन सुख के समुद्र श्रीरामचन्द्रजी सबसे अधिक हैं। सर्वव्यापक, निरंजन, निर्गुण, विनोदरहित और अजन्मे ब्रह्म आज प्रेम और भक्ति के वश कौशल्या की गोद में खेल रहे हैं। भगवान के कान और गाल बहुत ही सुंदर हैं। ठोड़ी बहुत ही सुंदर है। दो-दो सुंदर दंतुलियां हैं, लाल-लाल होठ हैं। नासिका और तिलक (के सौंदर्य) का तो वर्णन ही कौन कर सकता है। जन्म से ही भगवान के बाल चिकने और घुंघराले हैं, जिनको माता ने बहुत प्यार से बनाकर संवार दिया है,शरीर पर पीली झंगुली पहनाई हुई है,उनका घुटनों और हाथों के बल चलना बहुत ही प्यारा लगता है,उनके रूप का वर्णन वेद और शेषजी भी नहीं कर सकते। उसे वही जानता है, जिसने कभी स्वप्न में भी देखा हो। भगवान दशरथ-कौशल्या के अत्यन्त प्रेम के वश होकर पवित्र बाललीला करते हैं। भगवान ने मां को अपना अद्भुत रूप दिखाया है। जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं। अगणित सूर्य, चन्द्रमा, शिव, ब्रह्मा, बहुत से पर्वत, नदियां, समुद्र, पृथ्वी, वन, काल, कर्म, गुण, ज्ञान और स्वभाव देखे और वे पदार्थ भी देखे जो कभी सुने भी न थे। मां को आश्चर्यचकित देखकर भगवान राम फिर से छोटे से बालक बन गए हैं। इस प्रकार भगवान ने मां को अपना विराट रूप दिखाया है। इस दौरान मुख्य यजमान राजकिशोर गोड़, गिरजाशंकर, नगनरायन सिंह, महातम कुशवाहा, अनिरुद्ध सिंह, सुदामा गुप्ता, मुन्ना सिंह, आनन्द सिंह, छोटे सिंह, अमरनाथ प्रजापति, ओमप्रकाश गुप्ता, अशोक गुप्ता, कलावती देवी, रंभा देवी, सीमा देवी, विमलादेवी, रागनी देवी, शीला देवी, सरोज देवी, सुष्मिता कुमारी आदि मौजूद रहे।
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