पानी का पम्प बंद कर देने से नल बंद
हो जाता है, पानी आना रुक जाता है,
घड़ी बंद करने से घड़ी बंद हो जाती है,
और सही समय नहीं दिख पाता है।
स्विच बंद करने से बल्ब बुझ जाता है,
और प्रकाश मिलना बंद हो जाता है,
झूट छुपाने से झूट छुप जाता है पर
सत्य भी तो नहीं सामने आ पाता है।
प्रेम करने से प्रेम होता है घृणा नहीं,
दान करने से अमीरी कम नहीं होती है,
पर गरीब की गरीबी नहीं मिट पाती है,
किसी की याद से दूरी नहीं मिटती है।
सुख दुःख के दिनप्रति के जीवन में
हर कोई सुख की चाभी ढूँढता है,
पर कोई यह क्यों नहीं सोचता कि
सुख की तिजोरी में ताला डाला है।
किसी ने भी ताला लगाया हो
उसके सुख के कोषागार में,
उस ताले की ताली भी उसी के
पास मिल पाएगी इस संसार में।
दो शब्द -“क्या मैं कर सकता हूँ,”
या “मैं नहीं कर सकता हूँ” का ही
महत्व है, यही दो शब्द ऐसे हैं, जो
हमारी जीवन चर्या बदल सकते हैं।
इसलिए सही सही विकल्प इन दोनो
के बीच ही हर एक को चुनना चाहिये,
और जीवन में समुचित बदलाव ला
कर जीवन को श्रेष्ठ बनाना चाहिये।
सत्य सल्यक्रिया की तरह घाव तो
अवश्य करता है पर उपचार करता है,
आदित्य मिथ्या वह दर्दनाशक होता है,
क्षणिक आराम दे, दूसरा दर्द देता है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
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