July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बूँद-बूँद में सीख

बूँद-बूँद में सीख●●●

इस धरती पर हैं बहुत, पानी के भंडार।

पीने को फिर भी नहीं, बहुत बड़ी है मार॥●●●

जल से जीवन है जुड़ा, बूँद-बूँद में सीख।

नहीं बचा तो मानिये, मच जाएगी चीख॥●●●

अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।

जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प॥●●●

धूप नहीं, छाया नहीं, सूखे जल भंडार।

साँसे गिरवी हो गई, हवा बिके बाज़ार॥●●●

आये दिन होता यहाँ, पानी ख़र्च फिजूल।

बंद सांस को ख़ुद करें, बहुत बड़ी है भूल॥●●●

जो भी मानव ख़ुद कभी, करता जल का ह्रास।

अपने हाथों आप ही, तोड़े जीवन आस।●●●

हत्या से बढ़कर हुई, व्यर्थ गिरी जल बूँद।

बिन पानी के कल हमीं, आँखें ना ले मूँद॥●●●

नदियाँ सब करती रहें, हरा-भरा संसार।

होगा ऐसा ही तभी, जल से हो जब प्यार॥●●●

पानी से ही चहकते, घर-आँगन-खलिहान।

धरती लगती है सदा, हमको स्वर्ग समान॥●●●

बाग़, बगीचे, खेत हों, घर या सभी उद्योग।

जीव-जंतु या देव को, जल बिन कैसा भोग॥●●●

पानी है तो पास है, सब कुछ तेरे पास।

धन-दौलत से कब भला, मिट पाएगी प्यास॥●●●

जल से धरती है बची, जल से है आकाश।

जल से ही जीवन जुड़ा, सबका है विश्वास॥●●●

अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।

जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प॥●●●—

डॉ. सत्यवान ‘सौरभ’