

राजनिति में सर्वसम्मति निर्माण के दृष्टिकोण का अभाव
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। कुलपति प्रो. पूनम टंडन के मार्गदर्शन में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित वैल्यू एडेड कोर्स में बुधवार को मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार आनंद मिश्रा, द हिंदू समूह की फ्रंटलाइन पत्रिका के राजनितिक संपादक ने कहा कि जनसंख्या, भारत की राजनीतिक व्यवस्था के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। इस जनसंख्या का इस्तेमाल जनसंख्या लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) के तौर पर किया जाए। इन्हें उत्पादन हाथ ( प्रोडक्टिव हैंड्स) बनाकर कैसे दिशा दी जाए। यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि दशकों से जनता तथा नेताओं के बीच भरोसे की कमी देखी गई है। सभी राजनीतिक दलों की सरकारों और जनता के बीच खाई बढ़ी है।
भारतीय राजनीति में सर्वसम्मति निर्माण के दृष्टिकोण का अभाव रहा है।
श्री मिश्र ने कहा कि हम देख सकते हैं 75 साल बाद भी राजनीतिक वर्ग है तथा किसानों में अलगाव (डिस्कनेक्ट) है। सरकारें तमाम खींचतान और दबाव में कार्य कर रही हैं। राजनीतिक वर्ग असुरक्षित महसूस करता है और सदैव सरकार बचाने में लगा रहता है l यही वजह है कि राजनीतिक वर्ग भविष्य की बातें नहीं कर रहा है। एक बड़ा वर्ग अतीत के वैभव की बात करता है तो वही दूसरा वर्ग अतीत में हुए अत्याचारों को मुद्दा बनाता दिखता है।
वरिष्ठ पत्रकार श्री मिश्र ने भारतीय राजनीति में गांधी के विचारों तथा अंत्योदय के विचारों को लेकर राजनीतिक वर्ग आगे बड़ा जरूर लेकिन आज भी शासन समाज के गरीब और वंचित तबके तक नहीं पहुंच पाया है।
उन्होंने कहा कि एक सकारात्मक तथ्य जमीनी स्तर पर सामने आया है जनता खुद आगे बढ़कर अपने मुद्दों को उठा रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार सिंह तथा संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. महेंद्र कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महाविद्यालयों के शिक्षकगण तथा विद्यार्थियों ने वर्चुअल उपस्थिति दर्ज कराई।
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