Wednesday, November 26, 2025
HomeNewsbeatसरकार के श्रम विभाग के लिस्ट में भट्ठा मजदूर राजमिस्त्री अति कुशल...

सरकार के श्रम विभाग के लिस्ट में भट्ठा मजदूर राजमिस्त्री अति कुशल श्रेणी में

जबकि नर्स लैब टेक्नीशियन पैरामेडिकल स्टाफ की कोई श्रेणी नहीं- प्रतुल शाह देव

रांची(राष्ट्र की परम्परा)
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि इस अजब सरकार की गजब कहानी की दास्तान समाप्त होने का नाम नहीं लेती। प्रतुल ने कहा कि 11 मार्च 2024 को झारखंड के श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग द्वारा प्रकाशित गजट के 11 नंबर पृष्ठ पर अति कुशल श्रेणी का जिक्र किया गया है। इसमें राजमिस्त्री,ईंट पारने वाले और बावर्ची तक सम्मिलित है। लेकिन दूसरी ओर इसी अति कुशल श्रेणी के लिस्ट में कई वर्ष की पढ़ाई करके आने वाले स्टाफ नर्स ,एक्स-रे टेक्नीशियन, लैब फार्मासिस्ट एवं अन्य पैरामेडिकल कोर्स किए लोगों का कोई जिक्र नहीं है। प्रतुल ने कहा यह युवाओं के साथ क्रूर मजाक है। 3 वर्ष की पढ़ाई करके लाखों रुपए खर्च करके जो लोग आते हैं उसे झारखंड सरकार ने अति कुशल या कुशल श्रेणी में भी जिक्र करना जरूरी नहीं समझा। अब विभिन्न विभागों और अस्पतालों या आउटसोर्सिंग एजेंसी के रहमों करम पर यह लोग आ जाते हैं। कहीं इन्हें सामान्य वर्ग का पेमेंट मिलता है तो कहीं इन्हें कुशल श्रेणी का।अति कुशल श्रेणी में इन्हें कोई जगह नहीं दी जाती।

समानता सिक्योरिटी पर राज्य सरकार की इतनी मेहरबानी क्यों?

प्रतुल ने कहा कि रांची के सदर अस्पताल में वर्षों से आउटसोर्सिंग का काम सामानता सिक्योरिटी एजेंसी कर रही है। 600 से ज्यादा लोग इस आउटसोर्सिंग एजेंसी ने संविदा पर सदर अस्पताल रांची में रखा है।सरकारी फाइलों में पारा मेडिकल स्टाफ का मानदेय 805 रुपए प्रतिदिन है।जबकि इनका 514 रुपया प्रतिदिन एजेंसी के द्वारा भुगतान किया जाता है। यहां भी इन पैरामेडिकल स्टाफ को कुशल श्रेणी के नाम पर भुगतान किया जाता है।जबकि तकनीकी रूप से इन्हें अति कुशल श्रेणी में आना चाहिए। सरकार के द्वारा एजेंसी को पूरे महीने का 18138 रुपए का भुगतान किया जाता है। जबकि एजेंसी इन संविदा कर्मियों को 26 दिन का वेतन 14704 रुपया मात्र ही देती है। सिविल सर्जन का ऑफिस पूरे महीने का पेमेंट करता है ।जबकि एजेंसी सिर्फ 26 दिन का पेमेंट संविदा कर्मियों को करती है ।प्रतुल ने कहा सरकार संविदा कर्मियों के लिए 18% अलग से जीएसटी की व्यवस्था करती है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आउटसोर्सिंग एजेंसी संविदा कर्मियों की तनख़ाह से ही अतिरिक्त 18% जीएसटी काटती है ।प्रतुल ने कहा कि ईपीएफ का नियम है कि 12% संविदा कर्मी ,12% एजेंसी मिलकर लगभग 25% काटा जाता है।लेकिन यहां इन संविदा कर्मियों से पूरा 25% उनके तन्खाह से काटा जाता है और एजेंसी का इसमें कोई योगदान नहीं रहता।प्रतुल ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में करोड रुपए के महीने का घोटाला हो रहा है।भारतीय जनता पार्टी संविदा कर्मियों के मुद्दे पर बहुत संवेदनशील है और सरकार अगर हठधर्मिता पर लगी रही तो भाजपा इस मुद्दे को सड़क से लेकर विधानसभा तक ले जाने में सक्षम है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments