
👉प्रभावित गांवों में तीन वर्षों तक हो रहा है छिड़काव
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)19 सितम्बर 2022…
जिले के कालाजार प्रभावित गांवों में छिड़काव, निरोधात्मक कार्यवाही और जागरूकता की वजह से अब साल दर साल विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) आंत वाला कालाजार और पोस्ट-काला-अजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) यानि चमड़ी वाला कालाजार के मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार की ओर से निरोधात्मक कार्यवाही और सहयोगी संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम जारी है। पिछले चार वर्षों में बिहार से सटे जिले के सीमावर्ती इलाकों के कालाजार प्रभावित गांवों में कालाजार के मरीज घट गए हैं।
👉लगातार कराये जा रहे निरोधात्मक कार्य और चल रहे हैं जागरूकता कार्यक्रम
सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि ने बताया कालाजार उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। बनकटा ब्लॉक के 24 और भाटपारानी ब्लॉक के पांच गांव कालाजार प्रभावित हैं, जहां त्वरित जांच के साथ ही कालाजार के चिन्हित मरीजों का इलाज भी किया जा रहा है। उच्च जोखिम वाले गांवों में (जहां तीन वर्षों से लगातार कालाजार के केस निकलते हैं) अंदरुनी विशिष्ट छिड़काव साल में दो बार कराया जाता है। जहां-जहां कालाजार मरीज मिले हैं उस क्षेत्र में मानसून पूर्व और मानसून बाद छिड़काव किया जाता है। दस्तक पखवाड़े में भी कालाजार मरीजों को ढूंढ़ने का काम आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए विभाग के साथ-साथ सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), डब्ल्यूएचओ, पाथ और पीसीआई जैसी संस्थाएं भी पूरा प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने ने बताया दवा का छिड़काव बालू मक्खी को मारने के लिए किया जाता है। छिड़काव सभी घरों (सोने का कमरा, पूजा घर, रसोई आदि ) में, घरों के बरामदा और गौशाला में दीवारों पर जमीन से छह फीट ( दो गज) ऊंचाई तक किया जाता है।
👉बनकटा और भाटपार में वर्षवार घटे मरीज
जिला मलेरिया अधिकारी आरएस यादव ने बताया कि वर्ष 2019 में बनकटा में वीएल के 21 और पीकेडीएल के 8, 2020 में वीएल के 14 व पीकेडीएल के 11 , 2021 में वीएल के 11 व पीकेडीएल के 13 , 2022 में वीएल के 7 व पीकेडीएल के 5 मरीज मिले हैं। वहीं भाटपारानी ब्लाक में 2019 में वीएल के 2 , 2020 में वीएल के 2 व पीकेडीएल का एक, 2021 में वीएल का एक, 2022 में अब तक पीकेडीएल के 2 मरीज मिले हैं।
👉दो बार होता हैं छिड़काव
बनकटा ब्लाक नियरवान गांव निवासी रामबेलास कुशवाहा ने बताया कि गांव में दो बार छिड़काव होता है। ग्राम प्रधान नागेंद्र कुशवाहा की देखरेख में छिड़काव कराया जाता हैं। छिड़काव का नतीजा है कि अब बालू मक्खी नहीं के बराबर दिखती हैं। छिड़काव के बाद 3 महीने तक दीवार की लिपाई पुताई नहीं करवानी चाहिए, क्योंकि इससे दवा का असर समाप्त हो जाता है। कच्चे घरों, अंधेरे व नमी वाले स्थानों पर विशेष तौर पर छिड़काव कराया जाना है।
✍️संवादाता कुशीनगर…
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