Monday, October 13, 2025
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जप-तप 2025 : भारत-तिब्बत समन्वय संघ की राष्ट्रीय बैठक का शुभारंभ

तिब्बत की आज़ादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति पर होगा मंथन

जोधपुर/राजस्थान (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत-तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक “जप तप 2025” का शुभारंभ शनिवार को शिवांची भवन में हुआ। उत्तर-पश्चिम क्षेत्र (राजस्थान) के जोधपुर प्रांत में आयोजित इस बैठक में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य तिब्बत की स्वतंत्रता, भारत-तिब्बत संबंधों की मजबूती, कैलाश मानसरोवर की मुक्ति और वैश्विक करुणा के संदेश को आगे बढ़ाना रहा।
बैठक में अमेरिका के बढ़ते व्यापारिक प्रतिबंधों और चीन की विस्तारवादी नीतियों के बीच भारत की कूटनीतिक भूमिका पर चर्चा हुई। इस संदर्भ में तिब्बत की आज़ादी के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नई रणनीतियों पर विचार किया गया।
प्रातः सत्र की शुरुआत पंजीकरण और स्वागत के साथ हुई। उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्ज्वलन, गणेश वंदना और सरस्वती वंदना बालक श्री जैन द्वारा प्रस्तुत की गई। इसके बाद बीटीएसएस का थीम सॉन्ग गूंजा। सत्र का संचालन प्रांत अध्यक्ष एकलव्य भंसाली ने किया।
बैठक में जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी, आचार्य प्रो. मनोज दीक्षित और विधायक अतुल भंसाली सहित कई विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित रहे। राष्ट्रीय महामंत्री राजो मालवीय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, जबकि राष्ट्रीय संयोजक राजीव झा ने जस्टिस भाटी को काशी विश्वनाथ से प्राप्त 101 रुद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनंदन किया।
हिसार से आईं गुरप्रीत कौर सैनी ने डॉ. हेडगेवार पर लिखी पुस्तक का विमोचन किया, जबकि तिब्बती मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने परम पावन दलाई लामा की पुस्तक “वॉयस फॉर द वॉयसलेस” भेंट की।
दलाई लामा के 90वें जन्मवर्ष पर पूरे वर्ष को “ईयर ऑफ कंपैशन” के रूप में मनाने के संकल्प के साथ तिब्बती समुदाय ने विशेष प्रार्थना की और घेवर काटकर जन्मदिन मनाया।
बैठक में कालसंग युदून, श्रृंग डोल्मा और राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. प्रयाग दत्त जुयाल (ऑडियो संदेश द्वारा) ने विचार साझा किए।
प्रो. मनोज दीक्षित ने शिक्षा और समाज में आध्यात्मिक समरसता की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि केंद्रीय संयोजक श्री हेमेंद्र तोमर ने भारत-तिब्बत संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला। जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने अपने उद्बोधन में न्याय, करुणा और सेवा को मानवता का आधार बताया।
अंत में अतुल भंसाली ने कहा कि तिब्बत की आज़ादी केवल तिब्बतियों का नहीं बल्कि भारत के आध्यात्मिक अस्तित्व का भी प्रश्न है। विंग कमांडर (सेनि.) कुलदीप शाह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रथम दिवस का समापन किया।
संघ की स्थापना वर्ष 2021 में मकर संक्रांति के दिन हुई थी। तब से यह संगठन तिब्बतियों के हितों और भारत-तिब्बत के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए लगातार कार्य कर रहा है।

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