इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक ऐसी तकनीक है, जो बांझपन से जूझ रहे दंपतियों के लिए संतान सुख की उम्मीद जगाती है। लेकिन यह तकनीक जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही जोखिम भरी, महंगी और विवादास्पद भी है। इसके नकारात्मक पहलू, जैसे स्वास्थ्य जोखिम, आर्थिक बोझ, नैतिक सवाल और अप्राकृतिक हस्तक्षेप, इसे एक जटिल विकल्प बनाते हैं। इस लेख में हम IVF के विभिन्न नकारात्मक पहलुओं, एक वास्तविक असफलता के उदाहरण और ध्यान रखने योग्य बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ट्विन बालक आने की शंका
IVF प्रक्रिया में गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए अक्सर एक से अधिक भ्रूण गर्भाशय में स्थानांतरित किए जाते हैं। इससे एक से अधिक बच्चों (ट्विन्स, ट्रिपलेट्स या उससे अधिक) के जन्म की संभावना बढ़ जाती है। और यह अनुपात आज 25 से 30% हे जो नॉर्मल से ज्यादा हे। यह स्थिति माता और शिशुओं दोनों के लिए जोखिम भरी हो सकती है। बहु-भ्रूण गर्भावस्था में समय से पहले जन्म (प्रीमैच्योर डिलीवरी), कम वजन वाले शिशु, और जन्मजात असामान्यताओं का खतरा बढ़ जाता है। माता को गर्भावधि मधुमेह, उच्च रक्तचाप (प्रीक्लेम्पसिया), और प्रसव के दौरान जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, एक से अधिक बच्चों की देखभाल का मानसिक और आर्थिक दबाव दंपतियों के लिए भारी पड़ सकता है। क्या एक बच्चे की चाह में इतने जोखिम लेना वाकई उचित है?
माता का अप्राकृतिक रूप से हुआ गर्भ के साइड इफेक्ट्स
IVF एक अप्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन और दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं माता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) एक आम जटिलता है, जिसमें अंडाशय में सूजन, दर्द और कभी-कभी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक हार्मोनल उपचार से स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और थायरॉइड संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा, IVF की प्रक्रिया भावनात्मक रूप से थकाऊ होती है। बार-बार असफल चक्र, चिकित्सा प्रक्रियाओं का दर्द और अनिश्चितता के कारण तनाव, चिंता और अवसाद की संभावना बढ़ जाती है। कई महिलाओं ने IVF के बाद अपने मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट की शिकायत की है। क्या संतान प्राप्ति के लिए माता के स्वास्थ्य को इस हद तक जोखिम में डालना उचित है?
कुदरत के नियम के बारे में
प्रकृति ने प्रजनन के लिए एक निश्चित प्रक्रिया बनाई है, और IVF इस प्राकृतिक चक्र को बाधित करता है। कई धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण इसे प्रकृति के नियमों के खिलाफ मानते हैं। IVF के जरिए गर्भधारण करने से न केवल नैतिक सवाल उठते हैं, बल्कि यह भी चिंता होती है कि क्या यह तकनीक लंबे समय में अप्रत्याशित परिणाम लाएगी। उदाहरण के लिए, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि IVF से जन्मे बच्चों में जन्मजात हृदय दोष, आनुवंशिक असामान्यताएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम सामान्य बच्चों की तुलना में थोड़ा अधिक हो सकता है। इसके अलावा, भ्रूण चयन और अतिरिक्त भ्रूणों को नष्ट करने की प्रक्रिया नैतिक रूप से कई लोगों के लिए अस्वीकार्य है। क्या हमें प्रकृति के नियमों को चुनौती देनी चाहिए, या इसे स्वीकार करना चाहिए?
खर्च: कम से कम और ज्यादा
IVF एक अत्यंत महंगी प्रक्रिया है। भारत में एक IVF चक्र की लागत औसतन 1 लाख से 3 लाख रुपये तक हो सकती है, और कई बार एक से अधिक चक्र की आवश्यकता पड़ती है। तो खर्च बढ़ भी शकता हे। कुछ मामलों में, विशेष उपचार या अतिरिक्त प्रक्रियाओं (जैसे ICSI या डोनर एग) के कारण यह लागत 5 लाख रुपये से भी अधिक हो सकती है। इसके बावजूद, IVF की सफलता की कोई गारंटी नहीं होती। बार-बार असफलता से न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि दंपतियों का भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों के लिए यह खर्च असहनीय हो सकता है, जिससे वे कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। क्या इतना बड़ा आर्थिक जोखिम हर दंपति के लिए संभव है?
आज के मेडिकल साइंस का तर्क
मेडिकल साइंस IVF को बांझपन का एक क्रांतिकारी समाधान बताता है, लेकिन इसकी सफलता दर उतनी प्रभावशाली नहीं है। विश्व स्तर पर IVF की औसत सफलता दर 30-40% है, और यह माता की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और क्लिनिक की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में यह दर और भी कम हो सकती है। और वैसे भी ऑनलाइन साइट की माने तो भी यह सफलता दर 35 से कम उम्र मे 40-50%, 35 से 37 में 35 से 40%, 38 से 40 की उम्र में 20 से 30%
और 40 से ज्यादा में 15% ही हे।
इसके अलावा, IVF से जुड़ी जटिलताएं, जैसे भ्रूण स्थानांतरण की विफलता, गर्भपात का खतरा और एक्टोपिक प्रेगनेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भ), इसे जोखिम भरा बनाती हैं। कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि IVF से जन्मे बच्चों में कुछ दुर्लभ आनुवंशिक और विकासात्मक समस्याओं का जोखिम हो सकता है। मेडिकल साइंस स्वयं इस बात को स्वीकार करता है कि IVF हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। क्या इतनी अनिश्चितता और जोखिम के बावजूद इसे वरदान माना जा सकता है?
वास्तविक असफलता का उदाहरण
IVF की असफलता के कई मामले सामने आए हैं, जो इसकी जटिलता और जोखिमों को उजागर करते हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली की एक 38 वर्षीय महिला का है, जिसका नाम प्रिया (बदला हुआ नाम) है। प्रिया और उनके पति ने 2018 में IVF का सहारा लिया। तीन चक्रों के बाद, जिनमें उन्होंने लगभग 7 लाख रुपये खर्च किए, वह गर्भवती हुईं। लेकिन गर्भावस्था के छठे महीने में स्कैन से पता चला कि बच्चे में गंभीर हृदय दोष है। डॉक्टरों ने सलाह दी कि गर्भपात ही सुरक्षित विकल्प है। इस असफलता ने प्रिया को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया। हार्मोनल उपचार के कारण उनका वजन बढ़ गया, और वह अवसाद में चली गईं। उनके पति ने बताया कि इस प्रक्रिया ने उनके रिश्ते पर भी गहरा प्रभाव डाला। यह उदाहरण दर्शाता है कि IVF की असफलता केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह दंपति के जीवन को पूरी तरह बदल सकती है।
और क्या रखे ध्यान?IVF करवाने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है
विश्वसनीय क्लिनिक का
कई क्लिनिक व्यावसायिक लाभ के लिए मरीजों को गलत जानकारी दे सकते हैं। केवल प्रमाणित और अनुभवी डॉक्टरों और क्लिनिकों पर भरोसा करें।
मानसिक तैयारी
IVF की प्रक्रिया लंबी, दर्दनाक और अनिश्चित हो सकती है। असफलता की स्थिति में दंपति को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। काउंसलिंग लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
वैकल्पिक विकल्पों पर विचार
गोद लेना, सरोगेसी या प्राकृतिक उपचार जैसे विकल्प कम जोखिम भरे और सस्ते हो सकते हैं। इन पर विचार करें।
स्वास्थ्य जोखिमों की जानकारी
हार्मोनल उपचार और प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों को समझें। डॉक्टर से सभी संभावित जोखिमों पर खुलकर चर्चा करें।सिर्फ एक या दो सुझाव पे फैसला मत लो।
नैतिक और धार्मिक मूल्य
IVF की प्रक्रिया आपके धार्मिक या नैतिक विश्वासों के अनुरूप है या नहीं, इस पर विचार करें।और खास कर धर्म और कर्म के साथ विज्ञान को जोड़कर देखे।
आर्थिक योजना
IVF के लिए बजट बनाएं और बार-बार असफलता की स्थिति में होने वाले खर्च को ध्यान में रखें।
सामाजिक दबाव
परिवार या समाज के दबाव में आकर जल्दबाजी में निर्णय न लें। यह एक व्यक्तिगत और गंभीर फैसला है। जो की आपकी पूरी शारीरिक और मानसिक परिस्थितियों को सामने रखकर आगे बढ़ना चाहिए।
अंत में एक सुझाव
IVF निस्संदेह चिकित्सा विज्ञान की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, लेकिन इसके जोखिम, लागत और नैतिक सवाल इसे एक जटिल और विवादास्पद विकल्प बनाते हैं। यह प्रक्रिया माता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, आर्थिक बोझ डालती है और प्रकृति के नियमों के खिलाफ जाकर अनिश्चित परिणाम ला सकती है। प्रिया जैसे वास्तविक मामलों से यह स्पष्ट होता है कि IVF की असफलता केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह दंपति के जीवन को पूरी तरह बदल सकती है। क्या एक बच्चे की चाह में इतने जोखिम, तनाव और अनिश्चितता को स्वीकार करना उचित है? IVF का निर्णय लेने से पहले इसके सभी पहलुओं – शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक – पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। क्या यह वास्तव में वरदान है, या एक ऐसा शाप जो जीवन को और जटिल बना सकता है? यह सवाल हर दंपति को स्वयं से पूछना चाहिए।
प्रतीक संघवी-राजकोट गुजरात
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