
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
ऋषि सेवा समिति, देवरिया के तत्वाधान में आयोजित संगीतमयी भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पुरवा स्थित श्रीमहालक्ष्मी मंदिर परिसर में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पूज्य राघव ऋषि ने प्रवचन के दौरान कहा कि जीव प्रभु की भक्ति करता है उससे शक्ति मिलती है । जीव यदि पूरी निष्ठा से भक्ति करता है तो बलि बनता है एवं उसपर कृपा करने के लिए भगवान स्वयं वामन के रूप में पधारते है |
परमात्मा जब द्वार पर पधारते है तो तीन कदम पृथ्वी अर्थात तन, मन, धन जीव से मंगाते है | तन से सेवा, मन से सुमिरन व धन से सेवा जो जीव करता है वह बलि अर्थात बलवान बनता है | यह शरीर भी अपना नहीं है यदि अपना होता तो कोई इसे छोड़ना नहीं चाहता फिर छोड़ना पड़ता है । जो मेरा-मेरा करता है, उसे भगवान मारते है | जो तेरा-तेरा करता है, उसे भगवान तारते है | हमें मरना नहीं तरना है, बलि के दान से परमात्मा उसके द्वारपाल बनते है और अक्षुण्ण साम्राज्य प्राप्त करता है ।
ज्ञान क्रियात्मक होना चाहिए
ज्ञान जबतक शब्दात्मक है तबतक शांति नहीं मिलेगी | जब वह क्रियात्मक, सक्रिय होगा तभी शांति मिलेगी। ईश्वर द्वारा सभी को समय, सम्पत्ति और शक्ति मिली है जो उसका सदुपयोग करता है वह देव है, और जो दुरूपयोग करता है वह दैत्य है।
श्रीरामचरित की चर्चा करते हुए राधव ऋषि ने कहा भगवान ने दो पूर्ण अवतार लिए है | सूर्य व चन्द्र नवग्रहों के राजा हैं | अत : सूर्यवंश में राम के रूप में व चन्द्रवंश में प्रभु कृष्ण ने अवतार लिया। जबतक राम नहीं आते तबतक कन्हैया भी नहीं आता। परीक्षित के आत्मशुद्वि के लिए कन्हैया का कथा सुनाया। राम जैसी मर्यादा का पालन करोगे तो तुम्हारे मन का मोह रूपी रावण मरेगा तभी कृष्ण पधारते हैं।
भगवान ने प्रथम पूर्व अवतार मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्रीराम के रूप में लिया। अहिल्या उद्धार के रहस्य को बताते हुए पूज्य राघव ऋषि ने कहा कि पूरी रामकथा में दो ऐसे आश्रम हैं जहाँ प्रभु को बुलाया नहीं गया अपितु उनके कदम स्वयं पहुंचे, एक अहिल्या दूसरा माँ शबरी। भक्ति में दो चीजों कि आवश्यकता होती हैं- निष्ठा, कि स्थिरता एवं इंतजार जो क्रमश: अहिल्या व शबरी में थे। भगवान के केवट को बिना माँगे विमल भक्ति का वरदान दिया। भरत जैसा समर्पण जीवन में होगा तो उसे अक्षुण्ण यश कि प्राप्ति होती हैं। हनुमान जी ने भगवान कि दास्यभाव से सेवा कि। सेवा में धन नहीं, मन मुख्य हैं। हनुमान जी ने भगवान की समर्पित भाव से सेवा करके उन्हें अपना ऋणी बनाया। भक्ति ऐसी करो की भगवान तुम्हारे ऋणी बने। रामजी ने दिव्य रामराज्य किया जो आजतक कल्पना से परे हैं।
कथाक्रम को आगे बढ़ाते हुए कृष्णचरित को प्रारम्भ कर पूज्य राघव ऋषि ने कहा ये कथा मन को पवित्र बनती हैं। रामकथा से आत्मशक्ति एवं कृष्ण कथा से मन को शुद्ध करने के लिए शुकदेव जी ने दोनों कथा सुनाई।मन यदि सांसारिक विषयों का चिन्तन छोड़ दे तो वह प्रभु में लीन हो सकता है कृष्णकथा संसार को ही भुला देती है ।इस कथा में नवरस हैं।संसार को छोड़ना नहीं हैं किन्तु सांसारिक वृत्तियों को भुलना हैं। कथा अपने दोष का भान कराती हैं कथा श्रवण करते-करते आँसू निकले तभी मानों तुमने कथा सुनी। सांसारिक बन्धनों से मुक्त करने वाली यह कथा हैं। जिसे सुनकर असीम आनन्द की अनुभूति होती हैं। गंगा स्नान करने से तन और कृष्णकथा में स्नान करने से मन की शुद्धि होती हैं। श्रीकृष्ण जन्म की चर्चा करते हुए पूज्य राघव ऋषि ने कहा कि भगवान ने धरती का भार हटाने के लिए अवतार लिया था कंस ने देवकी की छः सन्तानों की हत्या किया हमेशा दो वस्तुओं से डरो, ईश्वर व पाप से।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में हर्षोल्लास
माया का आश्रय लिए बिना भगवान का अवतार नहीं हो सकता। योगमाया का आगमन हुआ। उन्होंने सातवें गर्भ की रोहिणी के गर्भ में स्थापना की। रोहिणी सगर्भा हुई और दाऊजी महराज प्रकट हुए। यशोदा- यश: ददाति इति यशोदा अर्थात, जो दूसरों को यश दे यशोदा हैं। नन्द अर्थात जो सभी को आनन्द दे वो नन्द हैं, जो अपने विचार, वाणी, व्यवहार व आचरण से दूसरों को आनन्द देता हैं उसी के घर भगवान पधारते हैं।श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर बालकृष्ण के दर्शन कर समस्त श्रद्धालु पुष्पवृष्टि व नृत्य करने लगे। सौरभ ऋषि ने “जन्में हैं कृष्ण कन्हैया” बधाई गीत की प्रस्तुति दी तो पूरा पण्डाल ब्रजमय बन गया एवं बहुत से लोगो ने गरबा भावनृत्य किया।
पोथी एवं व्यासपीठ पूजन सपरिवार श्री अशोक श्रीवास्तव एवं कामेश्वर नाथ कश्यप द्वारा सविधि पूर्ण किया गया कथा के अंत में समिति सर्वश्री धर्मेंद्र जायसवाल, नंदलाल गुप्ता, मोतीलाल कुशवाह, विजय केजरीवाल, लक्ष्मण केजरीवाल, अशोक गुप्ता, जितेंद्र गौड़, राजेंद्र मद्धेशिया, हृदयानंद मिश्र, हृदयानन्द मणि, अश्वनी यादव, शैलेष त्रिपाठी, कृष्ण मुरारी, सहित अनेक गणमान्य भक्तों ने प्रभु की भव्य आरती की।
कोषाध्यक्ष भरत अग्रवाल ने बताया कि शनिवार, 10 फरवरी को नंदोत्सव, माखन लीला एवं गिरिराज पूजन (छप्पनभोग) की दिव्य झांकी लगाई जाएगी।
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