सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। सभी एकादशी व्रत में सर्वश्रेष्ठ भीमसेनी एकादशी व्रत को माना जाता है।इस बार यह व्रत 17 जून दिन सोमवार को गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के लिए रखना श्रेयस्कर होगा। उक्त बातें बताते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी है ,इसे निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी कहते हैं।भगवान श्री कृष्ण जी से पांडवों ने पूछा कि ऐसा कौन सा व्रत है ,जिसको करने से पूरे साल भर के एकादशी व्रत का फल मिलता है तो उन्होंने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष को जो एकादशी तिथि आती है उस दिन निर्जला व्रत रखने से पूरे साल के एकादशी व्रत का सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है।इसके बाद महाबली भीम ने इस व्रत को किया तब से इसे भीमसेनी एकादशी व्रत भी कहते हैं।इस बार इस तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट से होगा समापन 18 जून को सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर होगा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि पहले दिन सम्पूर्ण अहोरात्र युक्त व्यापिनी एकादशी हो फिर द्वादशी तिथि को भी एकादशी हो तो गृहस्थ गण पूर्वा व सन्यासी गण उत्तरा करें।यह व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित व्रत है, इनके पूजन के लिए तुलसी की मंजरी, पीला चंदन, रोली ,अक्षत, पीले फूल, ऋतु फल,,धूप दीप, मिश्री आदि अर्पित कर भक्ति भाव से वेद मंत्रों के साथ आराधना करें।जीवन में कभी भी कष्ट नहीं आता है लोग भवसागर पार हो जाते हैं।
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