Saturday, December 20, 2025
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ISRO के 7 बड़े प्रक्षेपण मिशन: मार्च 2026 तक मानवरहित गगनयान समेत कई अहम लॉन्च करेगा इसरो

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मार्च 2026 तक कुल सात अहम प्रक्षेपण मिशन पूरा करने की तैयारी में है। इनमें गगनयान परियोजना का पहला मानवरहित मिशन, स्वदेशी इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का प्रदर्शन और क्वांटम डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक से जुड़े प्रयोग शामिल हैं। इन सात मिशनों में से पहला प्रक्षेपण अगले सप्ताह होने की संभावना है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद को यह जानकारी दी और बताया कि आने वाले महीनों में इसरो के कई मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई ऊंचाई देंगे।

अगले साल की शुरुआत में गगनयान का मानवरहित मिशन

मंत्री ने बताया कि भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 (LVM3) अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के BlueBird-6 संचार उपग्रह को कक्षा में स्थापित करेगा। यह मिशन इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के माध्यम से किया जाएगा।

एलवीएम-3 रॉकेट 2026 की शुरुआत में गगनयान परियोजना के पहले मानवरहित मिशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिशन में ‘व्योममित्रा’ नामक रोबोट को क्रू मॉड्यूल में भेजा जाएगा। इसके बाद 2026 में एक और मानवरहित मिशन प्रस्तावित है, जबकि 2027 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लो अर्थ ऑर्बिट में भेजने की योजना है।

गगनयान मिशन का उद्देश्य

पहला मानवरहित गगनयान मिशन पूरी मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रक्रिया का प्रदर्शन करेगा। इसमें मानव-रेटेड प्रक्षेपण यान की एयरोडायनामिक जांच , ऑर्बिटल मॉड्यूल का संचालन, क्रू मॉड्यूल का पुनः प्रवेश, सुरक्षित रिकवरी प्रक्रिया जैसे अहम चरण शामिल होंगे।

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भारत निर्मित पहला PSLV भी होगा लॉन्च

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अगले वर्ष इसरो पूरी तरह भारत में निर्मित पहला PSLV भी प्रक्षेपित करेगा। इस मिशन के तहत ओशियनसैट उपग्रह, इंडो-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह, और ध्रुव स्पेस का LEAP-2 उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

अंतरिक्ष तकनीक में भारत की मजबूत होती पकड़

इन सात प्रस्तावित मिशनों के जरिए भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान, व्यावसायिक लॉन्च सेवाओं, स्वदेशी तकनीक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग—चारों क्षेत्रों में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा। गगनयान मिशन भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान करने वाले चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करने की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है।

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