July 8, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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मासूम साईमा परवीन का 23 रोजा हुआ मुक्कमल


बघौचघाट/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना है, और इस दौरान रोजा रखना हर मुसलमान के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना जाता है।इस माहे रमजान में बड़े बुजुर्गों के साथ ही छोटे बच्चे भी रोज रखने में पीछे नहीं है।इसी क्रम में तरकुलवा अंतर्गत ग्राम पंचायत बरईपट्टी निवासी मु इस्तखार अहमद की 9 वर्षीय मासूम बेटी साईमा परवीन जो कक्षा 3 की छात्रा है।जो तेज धूप झेलती और पढ़ाई करने के साथ ही अपने परिजनों के साथ लगातार रोजे रख रही है।जो गांव में रोजे नहीं रखने या छोड़ने वालों के लिए नजीर बनी है। हद तो यह है कि खाने-पीने की चीज़ें उसके सामने रखी होती हैं लेकिन उसका मन उसकी तरफ खाने की बात तो दूर देखना भी गंवारा नहीं करती।यह एक ऐसी आजमाइश है जिसमें क्या छोटे और क्या बड़े सभी खरा उतरने का प्रयास करते हैं।और खुदा के फरमान को मानने में सुस्ती नहीं बरतते।अगर बड़े रोज़ा रखें तो कोई हैरत की बात नहीं क्योंकि उन्हें तो रोजा रखना अनिवार्य है जो उन्हें हर हाल में रखना है।लेकिन अगर छोटे और मासूम रोज़ा रखने का जतन करें तो निश्चित ही यह अभिनंदनीय एवं प्रशंसनीय कार्य है।अल्लाह पाक की बेपनाह रहमतें इन नन्हें रोजेदारों के लिए बरसती रहती हैं।मासूम साईमा परवीन का 22 रोजे मुकम्मल हो गये हैं।उन्होंने बताया कि रमज़ान के पूरे रोज़े बड़े ही शौक और लगन से रखूंगी।रविवार को 22वा रोजा रखा हूं।खुदा की इबादत में मसगुल होने के बाद रोजे की परेशानी महसूस नहीं होती है।