मतदाताओं का मतदान के प्रति उत्साह किसी भी राष्ट्र के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य का सबसे विश्वसनीय सूचक माना जाता है
गोंदिया-वैश्विक स्तरपर लोकतंत्र किसी भी राष्ट्र का केवल राजनीतिक ढांचा नहीं बल्कि सामाजिक चेतना, नागरिक अधिकारों और जनभागीदारी की संयुक्त अभिव्यक्ति है। विश्व के हर बड़े लोकतंत्र भारत, अमेरिका फ्रांस,जापान,जर्मनी,ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका ने यह स्पष्ट रूप से सीखा है कि नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के बिना लोकतांत्रिक संस्थाएँ मात्र औपचारिक ढाँचे में बदलकर रह जाती हैं।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं क़ि ऐसे समय में मतदाताओं का मतदान के प्रति उत्साह किसी भी राष्ट्र के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य का सबसे विश्वसनीय सूचक माना जाता है। जब नागरिक स्वयं यह मान लें कि लोकतंत्र केवल सरकार बनाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा एक सामाजिक अनुशासन है, तब मतदान का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।इसी व्यापक दृष्टि के साथ आज मंगलवार, 2 दिसंबर 2025 को गोंदिया नगर परिषद के नगर अध्यक्ष और दो पार्षदों के लिए मतदान केवल एक स्थानीय नागरिक दायित्व नहीं,बल्कि वैश्विक लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का सशक्त प्रतीक है। किसी छोटे नगर में होने वाला एक वोट भी विश्व लोकतंत्र के उस विशाल कैनवास पर प्रभाव छोड़ता है, जहाँ नागरिक भागीदारी, राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक उत्तरदायित्व आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। मतदान का हर कदम इस तथ्य को मजबूत करता है कि लोकतंत्र तभी सुरक्षित है जब उसका हर नागरिक खुद को इस व्यवस्था का सक्रिय रक्षक समझता है।गोंदिया जैसे नगर में यदि मतदान का प्रतिशत अधिक होता है, तो यह सिर्फ एक स्थानीय उपलब्धि नहीं होगी, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को वैश्विक स्तर पर यह संदेश देगा कि यहाँ के नागरिक हर परिस्थिति में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सर्वोच्च महत्व देते हैं। आज विश्व में कई लोकतंत्र मतदाता उदासीनता,गलत सूचना और जन विश्वास संकट से गुजर रहे हैं। उनके मुकाबले यदि किसी भारतीय नगर में 100 प्रतिशत मतदान के लक्ष्य की आवाज उठती है, तो यह केवल भारत ही नहीं,बल्कि पूरे विश्व लोकतांत्रिक समुदाय के लिए प्रेरणा का विषय बन सकता है।
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साथियों बात अगर हम मतदाताओं का उत्साह:लोकतंत्र को मजबूत बनाने की सार्वभौमिक शक्ति है इसको समझने की करें तो, विश्व इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहाँ कम मतदान या मतदाता उदासीनता ने लोकतंत्र को कमजोर किया और राजनीतिक ढाँचों को अस्थिरता की ओर धकेल दिया।राजनीतिक अस्थिरता,जन असंतोष,भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमताएँ अक्सर वहीं अधिक पनपती हैं जहाँ नागरिक अपने मताधिकार का उपयोग कम करते हैं। इसके विपरीत, जहाँ मतदाता जागरूक होते हैं और 70-80 प्रतिशत या उससे भी अधिक मतदान दर दर्ज की जाती है, वहाँ की राजनीतिक प्रणाली अधिक पारदर्शी,जवाबदेह और सहभागी बनती है।मतदाताओं का उत्साह केवल वोट देने की प्रक्रिया तक सीमित नहीं रहता बल्कि राजनीति में जनता की भूमिका को उच्च स्तर पर ले जाता है। यह उत्साह राजनीतिक दलों को भी संदेश देता है कि जनता अब निष्क्रिय नहीं है;वह शासन, निर्णय और नीतियों पर नजर रखती है। इस जागरूकता से शासन तंत्र में सुधार, अधिक पारदर्शिता, कुशल सेवा वितरण और नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप नीतियों का निर्माण सहज और सटीक रूप से आगे बढ़ता है।
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साथियों बात अगर हम जागरूक मतदाता बनने की वैश्विक जिम्मेदारी लोकतंत्र को 100 प्रतिशत भागीदारी तक ले जाने का संकल्प करने की करें तो, 21वीं सदी की राजनीति में वैश्विक लोकतंत्र अनेक दबावों से गुजर रहा है डिजिटल गलत सूचना,सोशल मीडिया पर पूर्वाग्रह निर्माण,चुनावों में धन बल का प्रभाव,राजनीतिक ध्रुवीकरण,और नॉन डेमोक्रेटिक विचारधाराओं का उभार। ऐसे समय में जागरूक मतदाता होने का अर्थ केवल मतदान करना नहीं, बल्कि सूचित मतदान, विवेकपूर्ण निर्णय औरसामाजिक जिम्मेदारी निभाना भी है जागरूक मतदाता तीन प्रमुख भूमिकाएँ निभाता है (1)तथ्यों पर आधारित निर्णय लेने वाला नागरिक,(2) लोकतंत्र को दिशा देने वाला सक्रिय सहभागी,(3) वैश्विक लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षक और संवाहक।इस संदर्भ में 100 प्रतिशत भागीदारी केवल एक सांख्यिकीय लक्ष्य नहींबल्कि लोकतांत्रिक आदर्शवाद का आधुनिक रूप है। दुनिया के लोकतांत्रिक विशेषज्ञ आज यह तर्क देते हैं कि जितनी अधिक भागीदारी, उतना अधिक मजबूत लोकतंत्र।100 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य एक नगर या शहर की सीमाओं से बहुत आगे जाकर राष्ट्र और विश्व को यह संदेश देता है कि नागरिक लोकतंत्र के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं।गोंदिया नगर अगर 100 प्रतिशत मतदान की दिशा में कदम बढ़ाता है, तो यह केवल स्थानीय स्तर पर स्वर्णिम क्षण नहीं होगा, बल्कि यह विश्व लोकतंत्र के लिए एक नया अध्याय होगा जो यह बताएगा कि विकसित होते समाज में नागरिकों की सक्रियता किस तरह लोकतांत्रिक ढांचे को नई ऊर्जा से भर देती है।आज, जब कई देशों में मतदान प्रतिशत गिर रहा है, भारत जैसे विशाल लोकतंत्र के छोटे नगर यदि 100 प्रतिशत मतदान की मिसाल रखते हैं, तो यह लोकतंत्र के भविष्य को लेकर एक सकारात्मक वैश्विक संदेश है कि राजनीतिक व्यवस्था में जनता की भागीदारी अभी भी सबसे शक्तिशाली परिवर्तनकारी शक्ति है।
साथियों बात अगर हम आज 2 दिसंबर 2025 को गोंदिया में मतदान:स्थानीय कर्तव्य से वैश्विक प्रतिबद्धता तक की यात्रा इसको समझने की करें तो,आज 2 दिसंबर 2025 को गोंदिया नगर परिषद चुनाव में मतदान करना केवल एक व्यक्तिगत दायित्व नहीं बल्कि वह वैश्विक विमर्श भी है जो लोकतंत्र की रक्षा और सुदृढ़ीकरण के लिए विश्व स्तर पर चल रहा है। जब एक नागरिक सुबह उठकर मतदान केंद्र तक जाता है,अपनी पहचान दर्ज कराता है, और ईवीएम मशीन के सामने खड़े होकर एक बटन दबाता है तो यह एक साधारण घटना लग सकती है। लेकिन वास्तव में यह वैश्विक लोकतंत्र की बुनियाद में जुड़ने वाली एक महत्वपूर्ण अमूल्य ईंट होती है।
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साथियों बातें कर हम विश्वभर में कई सामाजिक वैज्ञानिक के विचारों को समझने की करें तो वे यह मानते हैं कि लोकतंत्र और नागरिक भागीदारी के बीच जितना गहरा संबंध भारत जैसे देशों में देखने को मिलता है, उतना कम ही अन्य स्थानों पर दिखाई देता है।इसका कारण यह है कि यहाँ लोकतंत्र जन आंदोलनों संघर्षों और सामाजिक जागृति की लंबी यात्रा से विकसित हुआ है। इसलिए भारत का हर नागरिक अपने वोट के महत्व को भावनात्मक, नैतिक और सामाजिक सभी आधारों पर गंभीरता से समझ सकता है।गोंदिया के चुनावों में मतदान करने के बाद महसूस होने वाला गर्व केवल इसलिए नहीं है कि हमने अपना दायित्व निभाया, बल्कि इसलिए भी कि आपने विश्व लोकतंत्र के स्वास्थ्य में अपना योगदान दिया। आपका यह वोट वैश्विक समुदाय को यह बताता है कि नागरिक चाहे किसी भी स्तर के चुनाव में हों नगरा जिला, राज्य या केंद्र उनकी चेतना राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा के लिए पूरी तरह जागृत है।
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साथियों बात अगर हम मतदान: राजनीतिक संस्कृति का सशक्त स्तंभ इसको समझने की करें तो, राजनीतिक संस्कृति केवल सरकार, संविधान या राजनीतिक दलों से नहीं बनती,यह बनती है नागरिक चेतना से। मतदान इस संस्कृति का सबसे सशक्त स्तंभ है। यह नागरिकों को यह अहसास दिलाता है कि वे केवल शासन के विषय नहीं बल्कि व्यवस्था के निर्माता हैं।मतदान यह सुनिश्चित करता है कि (1) सत्ता जवाबदेह बनी रहे,(2) नीतियाँ जनता-केंद्रित रहें,(3) नेताओं का चुनाव मेरिट, नीतियों और जनहित के आधार पर हो,(4) समाज में समानता, न्याय और पारदर्शिता की भावना बने।जब नागरिक मतदान से दूर रहते हैं, तो वे अनजाने में अपने भविष्य के निर्णयों का अधिकार दूसरों को सौंप देते हैं। लेकिन जब वे सक्रिय होकर आगे आते हैं, तो लोकतंत्र अधिक स्थिर, मजबूत और जन–उत्तरदायी बनता है।
साथियों बात अगर हम गलत सूचना, ध्रुवीकरण और वैश्विक चुनौतियों के युग में मतदान क़े महत्व को समझने की करें तो, आज दुनिया का हर बड़ा लोकतंत्र गलत सूचना, गहरे राजनीतिक ध्रुवीकरण, और डिजिटल प्रोपेगेंडा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल इकोसिस्टम ने सूचनाओं को तेज बनाया है, परंतु उनकी विश्वसनीयता को कमजोर भी किया है। ऐसे माहौल में नागरिकों के लिए सूचित निर्णय लेना आसान नहीं रहा।इसलिए जागरूक मतदाता का महत्व और बढ़ जाता है। वह (1) तथ्य और अफवाह के बीच अंतर करता है, (2) प्रचार और वास्तविकता को अलग पहचानता है, (3) मताधिकार को भावनाओं नहीं, विवेक से जोड़ता है, (4) और राजनीतिक भाषा के बजाय नागरिक हितों को प्राथमिकता देता है। गोंदिया में मतदान कर लौटना इस जागरूकता का प्रमाण है कि नागरिक तथ्य आधारित निर्णय लेते हैं और लोकतंत्र को गलत सूचना तथा भ्रामक प्रचार के हमलों से बचाने के लिए तैयार हैं।
साथियों बात अगर हम 100 प्रतिशत मतदान का संकल्प: केवल लक्ष्य नहीं, नागरिक चेतना का प्रतीक इसको समझने की करें तो,100 प्रतिशत मतदान किसी चुनाव आयोग के अभियान का नारा भर नहीं है। यह नागरिक चेतना का वह स्तर है जहाँ लोग समझते हैं कि लोकतंत्र केवल चुनाव दिवस पर सक्रिय होने से नहीं, बल्कि हर चुनाव में अपनी भूमिका निभाने से आगे बढ़ता है।यदि गोंदिया 100% मतदान का लक्ष्य प्राप्त कर लेता है, तो यह भारत के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व लोकतंत्र के लिए एकऐतिहासिक संदेश होगा, कि एक नगर भी वैश्विक लोकतंत्र को नई दिशा दे सकता है। 100 प्रतिशत मतदान का अर्थ है (1) कोई नागरिक उदासीन नहीं,(2) कोई मतदाता निरुत्साहित नहीं, (3) कोई समुदाय उपेक्षित नहीं, (4) हर व्यक्ति लोकतंत्र का जिम्मेदार भागीदार है।यह लक्ष्यराजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक जागरूकता तीनों की संयुक्त सफलता का प्रतीक होता है।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि एक वोट स्थानीय से वैश्विक तक लोकतंत्र की सुरक्षा हमने जो मतदान किया है, वह केवल सत्ता संरचना को आकार देने वाला निर्णय नहीं है,बल्कि यह लोकतंत्र की वैश्विक विरासत को मजबूत करने वाला कदम भी है।मतदाताओं का उत्साह लोकतंत्र का शक्ति,स्रोत है, जागरूक मतदाता बनने की जिम्मेदारी लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा है,और 100 प्रतिशत भागीदारी का संकल्प आधुनिक लोकतंत्र की नई आवश्यकता है।हमारा एक वोट यह घोषणा करता है कि लोकतंत्र आपके लिए केवल राजनीतिक व्यवस्था नहीं बल्कि जिम्मेदारी, कर्तव्य, समर्पण और गर्व का विषय है। यह संदेश जितना गोंदिया के लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही पूरी दुनिया के लिए भी।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465
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