नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में नई ऊष्मा तब देखी गई जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक के दौरान यह घोषणा की कि भारत शीघ्र ही काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलेगा। अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपनी राजनयिक उपस्थिति को स्थगित कर दिया था।
2022 में भारत ने एक तकनीकी दल भेजकर सीमित स्तर पर अपनी मौजूदगी बहाल की थी, जिसे अब दूतावास के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह कदम अफगान जनता के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
यह बैठक 2021 में अमेरिकी सेनाओं की वापसी और तालिबान के शासन संभालने के बाद दोनों देशों के बीच पहली औपचारिक उच्चस्तरीय वार्ता रही। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंज़ूरी के तहत मुत्ताकी 9 से 16 अक्टूबर तक भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने जयशंकर से मुलाकात की और आगामी दिनों में आगरा एवं देवबंद मदरसे का दौरा करने के साथ भारत में रह रहे अफगान समुदाय से भी संवाद करेंगे।
यह ऐतिहासिक अवसर है जब किसी तालिबान सरकार के विदेश मंत्री ने भारत की धरती पर कदम रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात दक्षिण एशिया में बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भारत की विदेश नीति के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।
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