भारत और नेपाल के बीच वार्षिक सीमा वार्ता आज यानी 12 नवंबर से दिल्ली में शुरू हो रही है। यह बैठक तीन दिनों तक चलेगी, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष सुरक्षा बलों — भारत के सशस्त्र सीमा बल (SSB) और नेपाल के आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) — के प्रमुख शामिल होंगे। यह वार्ता खास इसलिए मानी जा रही है क्योंकि यह सितंबर में काठमांडू में हुए ‘जेन जेड’ प्रदर्शन के बाद दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच पहली उच्चस्तरीय बैठक है।
बैठक का एजेंडा
इस वार्ता का मुख्य एजेंडा सीमा पार अपराधों पर रोक लगाना, रियल-टाइम खुफिया जानकारी साझा करने की प्रणाली को मजबूत बनाना और सीमा प्रबंधन में समन्वय बढ़ाना है। अधिकारियों के मुताबिक, यह बैठक भारत-नेपाल सीमा पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में अहम साबित होगी।
भारत की ओर से इस बैठक का नेतृत्व एसएसबी के महानिदेशक संजय सिंगल करेंगे, जबकि नेपाल की ओर से एपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल राजू आर्यल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा।
एसएसबी के बयान के अनुसार, बैठक में सीमा पार अपराधों की रोकथाम के लिए संयुक्त तंत्र विकसित करने, सूचना साझा करने के लिए तेज और कुशल चैनल स्थापित करने और संवेदनशील सीमा इलाकों की निगरानी को सुदृढ़ करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
सीमा की निगरानी और सहयोग
पिछली बार यह वार्षिक बैठक नवंबर 2024 में काठमांडू में आयोजित की गई थी। एसएसबी भारत-नेपाल की 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा की निगरानी करती है, जो बिना बाड़ की है। इसके अलावा, यह बल 699 किलोमीटर लंबी भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी निभाता है।
भारत और नेपाल के बीच यह वार्ता दोनों देशों के सुरक्षा सहयोग को नई दिशा देने के साथ सीमा पर सुरक्षा, शांति और विश्वास को और मजबूत करने का प्रयास है।
