आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत की अंतरिक्ष यात्रा में शनिवार को एक और गौरवांवित कर देने वाली उपलब्धि उस समय जुड गयी जब देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 का यहां शार रेंज से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के महान वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देते हुये, राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना ने इस मौके पर कहा कि जो कोई देश नहीं कर सका, वह भारत के महान वैज्ञानिकों और इंजिनियरों ने कर दिखाया हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया हैं। पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण की सफलता के जरिए भारत ने इतिहास रचा और इस ऐतिहासिक पल की खुशी पर समस्त 140 करोड़ भारतीय गर्व कर रहें हैं। आज भारत और हम सभी भारतीय के लिए बहुत गर्व का दिन है। भारत आज विश्वगुरु बनने की राह निश्चित कर चुका है। मैं तहेदिल से इसरो के वैज्ञानिकों और इंजिनियरों को बधाई देता हूँ। उन्होंने भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में अपना परचम लहराया हैं। इस मिशन के जरिए भारत के इतिहास रचने की आशा पूरी हुई। हमें गर्व है कि भारत वहां पहुंच गया, जहां पहले कोई नहीं गया। इस उपलब्धि से ज्ञान और प्रेरणा की नई सीमाएं उजागर होंगी। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। जो भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नये प्रक्षेप पथ की ओर आगे ले जाती है। इससे हमें अंतरिक्ष और खगोलीय घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इस असाधारण उपलब्धि के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों बधाई के पात्र हैं। पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1मिशन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखे हुए है। इसके लिए भारत के अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे और इंसानियत के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करेंगे। भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का शुभारंभ हैं।
खुराना ने कहा कि आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण अंतरिक्ष की प्रगति का भी प्रमाण है। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य -एल1 सूर्य के करीब नहीं जायेगा। एल 1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य के सामने बने रहने का मौका मिला है। इससे सौर गतिविधियों के अवलोकन और अंतरिक्ष के मौसम पर इसके वास्तविक समय में प्रभाव का भी पता चलता है। प्रारंभ में उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है,लेकिन बाद में इसकी कक्षा को और अंडाकार बनाया जायेगा तथा बाद में ऑन बोर्ड प्रोपल्शन थ्रस्ट का इस्तेमाल करते हुए इसे लैगरेंज पॉइन्ट एल 1 की ओर भेजा जायेगा। यह जैसे-जैसे एल1 की ओर बढेगा यह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर चला जायेगा। पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलते ही इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जायेगा और इसी प्रकार इसे एल 1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित कर दिया जायेगा। एल1 पॅाइन्ट वह केंद्र है जहां से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है। यह उपग्रह 125 दिनों की सौर्य क्षेत्र की यात्रा में सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। इस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का दूसरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं।
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