

भारतीय संस्कृति अभिरूचि पाठ्यक्रम में बौद्ध धर्म और पर्यावरण पर व्याख्यान संपन्न
द्वितीय सत्र का विषय ” बुद्धकीय प्रबंधन उर्फ सम्यक प्रबंधन: परिचय एवं प्रयोग ” रहा
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)l राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा यशोधरा सभागार में शुक्रवार को भारतीय संस्कृति अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत सात दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का तृतीय दिवस का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया। व्याख्यान श्रृंखला के प्रथम सत्र की विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर (डॉ.) मालविका रंजन, इतिहास विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा ‘‘ बौद्ध धर्म और पर्यावरण ” पर अपने विचार व्यक्त किया गया।
द्वितीय सत्र में ‘‘ बुद्धकीय प्रबंधन उर्फ सम्यक प्रबंधन: परिचय एवं प्रयोग ” पर डॉ. जसवीर सिंह चावला ने आपने विचार प्रस्तुत किए। साथ ही डॉ. चावला द्वारा निर्देशित जातक अट्ठकथाओं पर आधारित लघु फिल्म ” नेक सलाह ” का प्रदर्शन भी किया गया।
” बौद्ध धर्म और पर्यावरण ” पर मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर मालविका रंजन, इतिहास विभाग, द्वारा भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित बौद्ध धम्म वर्तमान परिवेश में अपने पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए कितना प्रासंगिक है, की महत्ता पर विस्तृत तथ्य प्रस्तुत किये गये।
डाॅ. जसवीर सिंह चावला ने ‘‘बुद्धकीय प्रबंधन उर्फ सम्यक प्रबंधन: परिचय एवं प्रयोग‘‘ पर अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि 547 जातक अट्ठकथाओं का अध्ययन करने पर बुद्धकीय प्रबंधन का जो मॉडल उभर कर आता है, उसे सूत्र रूप में अगर व्यक्त करना हो तो वह है सम्यक प्रबंधन।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) पारोमिता शुक्ला बैद्या, पूर्व निदेशक, पर्यटन एवं अतिथि सेवाएं, प्रबंध विद्यापीठ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू नई दिल्ली व सफल संचालन रीता श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत व सम्मान संग्रहालय की ओर से डाॅ. यशवन्त सिंह राठौर, उपनिदेशक ने स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। उन्होंने शनिवार के कार्यक्रम के बारे में बताया कि ‘‘ पर्यटन के दृष्टिकोण से बौद्ध पुरास्थलों का महत्व ” विषय पर प्रोफेसर (डॉ.) पारोमिता शुक्ला बैद्या, पूर्व निदेशक, पर्यटन एवं अतिथि सेवाएं, प्रबंध विद्यापीठ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) नई दिल्ली का व्याख्यान होगा।
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