‘आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में शैक्षिक अनुसंधान की भूमिका’ विषयक व्याख्यान आयोजित
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। विकसित भारत की संकल्पना उत्कृष्ट शोध के बिना साकार नहीं हो सकती है। भारत की आत्मनिर्भरता यहां के शोध कार्यों पर ही निर्भर है। शोध एक संगठित प्रक्रिया है, जिसमें कुछ निर्दिष्ट पदों का पालन करना अनिवार्य है। वैज्ञानिक विषयों में अधिकांशतः मौलिक एवं प्रयोगात्मक अनुसंधान होते हैं। जबकि मानविकी विषयों में वर्णनात्मक एवं ऐतिहासिक अनुसंधान होते है। शिक्षाशास्त्र विषय में ज्यादातर अनुसंधान मानव व्यवहार पर होता है। जो कि मानव व्यवहार के जटिल होने के कारण अत्यंत सावधानीपूर्वक करना होता है।
उक्त विचार शिक्षाविद् प्रो. राजेश सिंह, अधिष्ठाता एवं अध्यक्ष शिक्षा शास्त्र विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में शैक्षिक अनुसंधान की भूमिका’ विषयक अतिथि व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप व्यक्त किए।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने शोध के प्रत्येक चरण पर प्रकाश डालते हुए ऐतिहासिक अनुसंधान के अंतर्गत प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोत उनकी आंतरिक एवं वाह्य समालोचना के विषय में जानकारी प्रदान की। इसके साथ ही वर्णनात्मक सर्वेक्षण शोध एवं क्रियात्मक शोध के विषय में विस्तार पूर्वक बताया।
प्रो. सिंह ने शून्य परिकल्पना एवं इसके परीक्षण की विभिन्न विधियां से विद्यार्थियों को अवगत कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शोध की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे शोध कार्यों पर बहुत जोर है। क्योंकि शोध के द्वारा ही नवीन ज्ञान का सृजन होता है। जिसका राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है।
मानविकी विषयों में शोध की महत्ता को बताते हुए एल्टन मायो के उद्धरण द्वारा प्राचार्य ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में मानवीय संबंधों पर कम बल दिया जा रहा है। आज के विद्यार्थियों को इस दिशा में ध्यान देते हुए मानवीय संबंधों एवं मूल्य पर बल देना चाहिए।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. त्रिभुवन मिश्रा, अतिथि परिचय डॉ. श्याम सिंह, विषय प्रस्ताविकी डॉ. जागृति विश्वकर्मा, अतिथि स्वागत डॉ. सुजीत शर्मा एवं आभार ज्ञापन डॉ. निधि राय द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के शुभारंभ मे सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत नंदिनी, हिमांशी एवं वैष्णवी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षाशास्त्र के सभी विद्यार्थी एवं महाविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे।
More Stories
श्रीमद्भागवत कथा अमृत वर्षा का हुआ समापन रात भर झूमे लोग
डा. परविंदर सिंह का नाम एशिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज
सड़क हादसे में चालक की मौत,दूसरा गंभीर