July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

इमाम हुसैन किसी मज़हब के नही बल्कि इन्सानियत के रहनुमा हैं- मौलाना हसन रज़ा

कड़ी सुरक्षा में निकला आशुरा का जुलूस, लोगों ने मातम और गिरया कर अपने मज़लूम इमाम को खिराज-ए अक़ीदत पेश किया

मऊ (राष्ट्र की परम्परा)। मोहर्रम की दस तारीख पर रविवार को जनपद के कोपागंज में कड़ी सुरक्षा के बीच अलम और ताज़िये का जुलूस निकला । इस दौरान पूरा इलाका या अली या हुसैन की सदा से गूंज उठा । इस जुलूस का आगाज़ चौक न० 1 फुलेलपूरा मौलाना हसन रज़ा ( इमाम जुमा व जमात ) की दिल सोज़ तक़रीर से हुआ उन्होंने इमाम हुसैन अस की मज़लूमी बयान करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अस० ने आखिर वक्त में तुम्हे याद किया कि ऐ मेरे शियों काश कि तुम कर्बला में होते तो देखते कि मैं किस तरीके से यज़ीदी लश्कर से अपने 6 माह के बालक के किये पानी मांग रहा था जिसे सुन कर लोगों में कोहराम बरपा हो गया हर व्यक्ति दहाड़े मार कर रो रहा था . उसके बाद ताजिया न०1 की अंजुमन हाय मातमी ने नौहा मातम कर अपने ज़माने के इमाम की ख़िदमत में आंसुओं का नज़राना पेश किया। अंजुमन इमामिया रजिस्टर के नौहा खान अनीस जाफर ने पढ़ा
सरवर ये सदा देते हैं मक़तल में तड़प कर अब जी के क्या करे तेरा बाबा अली अकबर। अंजुमन हैदरी ने पढ़ा चांद से प्यारे अकबर, अंजुमन सज्जादिया के साहिबे ब्याज शाहिद हुसैन, हिफाजत हुसैन ने पढ़ा
गला हुसैन का काटा, इधर सकीना का
किया है शिमर ने दो कत्ल एक खंजर से।
अंजुमन इमामिया कदीम के नौहा खान ज़फ़र हैदर शमशी ने पढ़ा
तन्हाई ए हुसैन का मंजर अजीब है
अब्बास हैं न कासिम ओ अकबर अजीब है।
ऐ रात न ढल जाना ऐ रात न ढल जाना ।
यह जुलूस अपने परम्परागत रास्तों से चमन रोड होता हुआ ताजिया न० 2 व 3 के जुलूस से मिलता हुआ मच्छर घट्टे पहुचा जहा ताजिया न० 4,5, का जुलूस बाज़िद्पुरा इमाम चौक से आकर मिलता है यहाँ पर शहर की सभी अंजुमनों ने अपने मखसूस अंदाज़ में नौहा व मातम किया उसके बाद यह जुलूस हनुमान चौक होता हुआ मौलाना हसन रज़ा इमाम जुमा , अशफाक हसनैन कर्रार अली, असद रज़ा एवं आदि ताजियादारों की निगरानी में अपने क़दीमी रास्तों से काछीकला कर्बला में देर शाम प्रशासन की कड़ी सुरक्षा में दफ्न हुआ । कोपागंज चौक पर मौलाना शमशीर अली मुख्तारी साहब ने तक़रीर की उन्होंने कर्बला की तारीख पर रोशनी डालते हुए कहा कि दुनिया में इमाम हुसैन का वाहिद ऐसा नाम है जिसे मानने के लिए किसी मज़हब की कैद नही है इमाम हुसैन किसी मज़हब के नही बल्कि इंसानियत के रहनुमा हैं । इस दरम्यान डा. अली ज़फर ने कहा कि इमाम हुसैन उस महान पुरुष का नाम है जिसने इंसानियत के लिए ज़ालिम यज़ीद के आगे सर कटा दिया मगर झुकाया नही. इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए कर्बला में अपने साथ बहत्तर साथियों की कुर्बानी दी जो मेरे लिए आदर्श बनी”। इस मौके पर मौलाना हसन रज़ा, मौलाना शमशीर अली, डा.मौलाना मुन्तज़िर मेहंदी , डॉ सलमान.डा. कासिम, कर्रार अली , बाक़र रज़ा शिबू, आबिद हुसैन, जमील असग़र गुड्डू, के अलावा अत्यधिक तादाद में छोटे छोटे बच्चे भी थे जो इमाम हुसैन के बच्चों का मातम करने के लिए आये थे ।