श्रीमद् भागवत कथा का द्वितीय दिवस
प्रत्येक संतान का धर्म है कि अपने माता-पिता को अपने आचरण से प्रसन्न रखे
कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)
दुदही विकास खंड के ग्राम पंचायत दुमही के राजस्व गांव बंगरा रामबक्स राय में शारदीय नवरात्र के अवसर पर आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस श्रीधाम वृंदावन व बागेश्वर धाम के सेवक आचार्य पं. रोहित रिछारिया जी ने कथा में बताया कि, श्रीरामचरितमानस जीवन जीने की कला सिखाता है तो श्रीमद् भागवत मरने की कला सिखाता है। जिसने मृत्यु संभाल ली उसने सब कुछ संभाल लिया।
कथाक्रम में भगवान की लीला का वर्णन करते हुए कथावाचक ने बताया कि अगर जीव धर्म के मार्ग पर चले तो उसकी सदैव विजय होती है। कौरव और पांडवों में इतना बड़ा महाभारत का युद्ध हुआ, पांडव धर्म के मार्ग पर चले तो उनको विजय मिली। कहा कि धर्मो रक्षति रक्षित : अगर हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। प्रत्येक संतान का धर्म है कि अपने माता-पिता को अपने आचरण से प्रसन्न रखे। माता-पिता की सेवा से सब कुछ प्राप्त हो जाता है। गायक राहुल परिहार, तबला वादक इंदल शर्मा व बैंजो पर अजयदास ने संगत की। आचार्य पं. अजीत शास्त्री के नेतृत्व में पुरोहितगण पं. अनिल कौशिक व शिवसेवक दास ने मूल परायण पाठ किया। इसके पूर्व कथा का शुभारंभ वृंदावन धाम से पधारे आचार्य हेमकांता महाराज ने ग्रंथ पूजन कर किया। इस दौरान आयोजक शत्रुघ्न उर्फ डिंपल शुक्ल, पं. रामअवध शुक्ल, रामकिशोर शुक्ल, सत्येंद्र उर्फ गुड्डू शुक्ल, कृष्णा शुक्ल, वीरेंद्र शुक्ल, नन्हे शुक्ल, नगीना कुशवाहा, अनवर अंसारी, सुनील कुमार, रोहित कुमार, शोभित, त्रिपुरारी, छेदी प्रसाद , पारसनाथ शुक्ल, दूधनाथ शुक्ल, श्रीराम शुक्ल आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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