
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) हज यात्रा 2026 को लेकर सऊदी अरब सरकार ने एक अहम फैसला लिया है, जिसका सीधा असर भारत समेत दुनिया भर से हज पर जाने वाले लाखों आजमीनों पर पड़ेगा। सऊदी सरकार की नई गाइडलाइन के तहत अब हज के दौरान मियां-बीवी यानी पति-पत्नी को एक ही कमरे में रहने की अनुमति नहीं होगी।
हर साल भारत से करीब 1.75 लाख से अधिक हज यात्री सऊदी अरब रवाना होते हैं। इन्हें मक्का और मदीना में ठहराने की जिम्मेदारी हज कमेटी ऑफ इंडिया की होती है, जो स्थानीय होटल और बिल्डिंग किराये पर लेकर कमरों का आवंटन करती है। अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक, एक ही राज्य के पुरुष और महिला हज यात्रियों को एक ही कमरे में समूह बनाकर ठहराया जाता था। पति-पत्नी भी एक ही कमरे में रुक सकते थे।
लेकिन अब सऊदी सरकार ने हज 2026 के लिए नई नीति लागू करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पुरुष और महिला हज यात्री अब एक ही कमरे में नहीं रह सकेंगे, चाहे वे पति-पत्नी ही क्यों न हों। साथ ही पुरुष आजमीनों को महिलाओं के कमरों में प्रवेश की अनुमति भी नहीं होगी।
हज कमेटी ऑफ इंडिया ने की पुष्टि
हज कमेटी ऑफ इंडिया ने हज 2026 की तैयारियों को लेकर जारी प्रारंभिक गाइडलाइन में इस बदलाव की पुष्टि की है। समिति के अनुसार, अब पति-पत्नी के लिए भी अलग-अलग कमरे की व्यवस्था करनी होगी। यह नियम विशेष रूप से मक्का और मदीना में ठहरने के दौरान लागू रहेगा।
धार्मिक दृष्टिकोण से लिया गया फैसला
सूत्रों के अनुसार, यह फैसला सऊदी सरकार की धार्मिक मामलों से जुड़ी उच्च समिति की सिफारिश पर लिया गया है। हज को एक पवित्र और संयमित यात्रा माना जाता है, और इस दौरान पुरुष और महिलाओं के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने के निर्देश पहले से ही मौजूद थे, जिन्हें अब और सख्त कर दिया गया है।
आजमीनों को करना होगा अतिरिक्त खर्च
इस नियम के चलते हज पर जाने वाले दंपतियों को अब अलग-अलग कमरे बुक कराने होंगे, जिससे यात्रा खर्च में भी इजाफा हो सकता है। अभी तक पति-पत्नी एक ही कमरे में रुककर लागत साझा कर लेते थे।
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