Tuesday, October 14, 2025
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हिंदी भारत का गौरव, एकता और सांस्कृतिक विरासत का है प्रतीक – गिरिधर करुण

कवि और साहित्यकार गिरिधर करुण के पुस्तक ‘ कोरे कागज के आखर’ का हुआ विमोचन

सलेमपुर, देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। हिंदी दिवस पखवारा के अन्तर्गत नगर के ईचौना पश्चिमी वार्ड में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस दौरान प्रसिद्ध साहित्यकार व कवि गिरिधर करुण को सम्मानित करने के साथ ही उनके नए पुस्तक कोरे कागज के आखर का विमोचन भी किया गया। इस दौरान सम्बोधित करते हुए गिरिधर करुण ने कहा कि हिंदी भारत के गौरव एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

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14 सितम्बर 1949 को देवनागरी लिपि में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। आज जरूरत है कि इसका और प्रचार प्रसार किया जाए। सेंट जेवियर्स स्कूल के प्रधानाचार्य वीके शुक्ल ने कहा कि भारत के संविधान 343 के तहत हिंदी भारत संघ की राजभाषा बनी। देश का पहला राज्य बिहार था जिसने उर्दू के स्थान पर हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा बनाया। पूरे विश्व में हिंदी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली तीसरी भाषा है। पूर्व प्रधानाचार्य नरसिंह तिवारी ने कहा कि हिंदी विश्व की प्राचीन और समृद्धि भाषाओं में से एक है यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है जिसे सरल व वैज्ञानिक माना जाता है।

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पूर्व प्रधानाचार्य भागीरथी प्रसाद ने कहा कि 1953 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितम्बर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी। गोष्ठी को कवि संजय मिश्र,अश्विनी पांडेय, राजेश्वर द्विवेदी, डॉ धर्मेन्द्र पांडेय, रामविलास तिवारी,अवनीश चन्द्र भाष्कर ,दीनदयाल यादव,केपी गुप्त, आंनद उपाध्याय,एस एन मिश्र,गोपाल यादव, मनीष रजक,राकेश यादव, सीपी शुक्ल, फैज इमाम आदि ने सम्बोधित किया।

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