देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। होली हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है।बसंत का महीना शुरू होते ही इसकी शुरुआत हो जाता है।फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद होली का पावन पर्व मनाया जाता है। उक्त बातें बताते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि इस वर्ष यह त्योहार पंचांग के अनुसार 24 मार्च को रविवार को रात्रि 10 बजकर 27 मिनट के बाद सर्वत्र होलिका दहन किया जाएगा,क्योंकि इसी दिन दिन में 9 बजकर 24 मिनट के पश्चात से पूर्णिमा तिथि हो रही है। चूंकि 24 मार्च को रात्रि 10 बजकर 27 मिनट तक भद्रा है,इसलिए पूर्णिमा तिथि में भद्रा के बाद होलिका दहन किया जायेगा। 25 मार्च को दिन में 11 बजकर 31 मिनट तक पूर्णिमा तिथि है। इसलिए 26 मार्च को उदया तिथि के अनुसार सर्वत्र वसन्तोत्सव, रतिकाम महोत्सव जनित होली का पावन पर्व मनाया जाएगा।पर्वो के निर्णय लेने में प्रचलित पंचांग का निर्णय सर्वमान्य होता है। अतः 26 मार्च को होली पर्व मनाना उचित है। देशाचार के अनुसार जिस दिन लोग सार्वजनिक रूप से पर्व मना रहे हो उसी दिन पर्व मनाना श्रेयस्कर होता है। होली आपसी प्रेम ,भाईचारे व सद्भभावना का त्योहार है।घरों में गुझिया व पकवान बनते हैं, लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल व रंग लगाते हैं। पूरे भारत मे इस पर्व का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। देश के अलग अलग भागों में विभिन्न रूपों में इसको मनाते हैं।
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