
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया द्वारा आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में मुख्य अतिथि प्रो जयप्रकाश नारायण द्विवेदी, सभाध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी, मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी एवं संयोजक डां सौरभ श्रीवास्तव ने तोलेटी चन्द्रशेखर विशाखापत्तनम को नागरी रत्न, डां प्रेमशीला शुक्ल देवरिया को नागरी भूषण तथा कवि दयाशंकर कुशवाहा को नागरी श्री सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान के तहत उक्त सम्मानित विद्वतजनों को प्रशस्ति-पत्र, उत्तरीय व अंग वस्त्र सभा द्वारा प्रदत्त किया गया। कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती पूजन एवं वंदना से हुआ। तत्पश्चात् स्वागत गीत नित्यानंद आनंद जी ने किया।
उसके बाद मुख्य अतिथि गणों ने हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेनेवाले पक्ष की छात्रा जिया रहमान को प्रथम, अंकिता तिवारी को द्वितीय, सारा एवं अंशु चतुर्वेदी को तृतीय श्रेणी का पुरस्कार प्रदान किया। विपक्ष में बोलने वाले चन्दन कुशवाहा को प्रथम स्थान का पुरस्कार दिया। नागरी श्री सम्मान से सम्मानित श्री दयाशंकर कुशवाहा ने हिन्दी के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी का विकास निश्चित ही होगा, क्योंकि अब अहिन्दी भाषी क्षेत्र लोग भी हिन्दी के प्रति जागरूक हो गये है। इसके विकास में भारतीय संगीत कंपनी प्रबल भावनाओं के द्वारा मथी भूमिका निभा रहा है। आगे नागरी भूषण सम्मान से सम्मानित डां प्रेमशीला शुक्ल ने कहा कि संस्था से सम्मान पाना सबकी अभीप्सा होती हैं। लेकिन नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्राप्त यह सम्मान बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैं आप सब से आशीर्वाद चाहती हूं कि मेरी अनुभूति की कमी पूरी हो जाए और मैं आप के दिये इस सम्मान की रक्षा कर सकूं। आगे भाषा के प्रश्न पर डां प्रेमशीला शुक्ल ने कहा मनुष्य के सभ्यता के इतिहास में जो तीन महत्वपूर्ण कारक है उसमें भाषा प्रमुख हैं। आज के समय में जितना बड़ा संकट है उतना कभी नहीं रहा। आज भाषा पर दबाव इतना ज्यादे हो गया है कि आगे भाषा रहेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता। आज का बच्चा अपने विवेक से अपनी भाषा में कुछ कह नहीं पाता। हम आप भाषा विद् होने का दंभ भरते हैं लेकिन कुछ कर नहीं पाते। हमारा यह दायित्व है कि हम जिस बिंदु पर हैं अपने बोलचाल की भाषा में बात करें। हिन्दी में शक्ति है। वह मानवीय भावनाओं को संप्रेषित कर सकती है । लेकिन इसके प्रयोग और शासन सत्ता का सहयोग जरुरी है।
नागरी रत्न सम्मान से सम्मानित तोलेटी चंद्रशेखर ने कहा कि आपने मुझे यहां बुलाकर मुझे और मेरे हिन्दी प्रेम को सम्मानित किया इसके लिए आप सब का मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। मैं निरंतर हिन्दी के विकास में संलग्न हूं और चाहता हूं कि मुझे लोग तोलेटी चन्द्रशेखर की जगह हिन्दीशेखर के रुप में जाने। मैं यह उम्मीद में रखता हूं कि हिन्दी वैश्विक स्तर पर अपने को स्थापित करेगी। समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर जयप्रकाश नारायण द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्ता समय का कारण होता है। आज के लोकतंत्र में जब हम ही सत्ता हैं तो भाषा के ह्रास के लिए किससे क्या कहें। भाषा और साहित्य जब साथ साथ हैं तो दोनों पर एक साथ विचार करना होगा। आज हम अपनी लोक बोलियों भोजपुरी, अवधी, ब्रज को भूल चुके हैं। जिस रीतिकाल में सम्पूर्ण भारतीय काव्शास्त्र है उसे अछूत समझकर छोड़ दिया है। जिससे हिन्दी अलग थलग पड़ गयी है। हमने अपनी लोक बोलियों के अपार शब्द सम्पदा भुला दिया है। आज जरुरी है कि हम अपनी परंपरा और बोलियों को प्रश्रय दे तभी भाषा विकास कर सकेगी। केवल दूसरों को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला। हमें हिन्दी की उन्नति के लिए तुलसी, मीरा, केशव, बिहारी के पास जाना ही होगा। साथ ही घरेलू स्तर अपनी भाषा अपनी बोली का व्यवहार करना होगा। सभा के अध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी अपने हिसाब से आगे बढ़ रही है। हिन्दी का यह समय आगे बढ़ने का है। हिन्दी के उत्थान के लिए ही हम यह सम्मान समारोह आयोजित करते हैं। उन्होंने आगत अतिथियों को सभा में आगमन के लिए आभार व्यक्त किया। सभा के मंत्री डॉ अनिल कुमार त्रिपाठी ने अतिथियों का परिचय कराते हुए उनका स्वागत किया। इस समारोह सभा के नये आजीवन सदस्यों का शपथ ग्रहण अध्यक्ष जी ने कराया। समारोह का उत्कृष्ट संचालन डां अभय कुमार द्विवेदी ने किया। सयोंजक डॉ सौरभ श्रीवास्तव रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रीमती दुर्गा पांडेय, श्वेतांक करण त्रिपाठी, वृद्धि चन्द्र विश्वकर्मा, सरोज कुमार पांडेय, इन्द्र कुमार दीक्षित, गोपाल कृष्ण सिंह रामू, सतीश पति त्रिपाठी, बृजेश पांडेय अधिवक्ता, रमेश चन्द्र त्रिपाठी, दिनेश कुमार त्रिपाठी, मधुसूदन मणि त्रिपाठी, दुर्गा पाण्डेय, दुरगाधर द्विवेदी, ह्रदय नारायण जायसवाल, कौशल कुमार मिश्र, अनिल कुमार त्रिपाठी विज्ञान संचारक, डां दिवाकर प्रसाद तिवारी, रविन्द्र नाथ तिवारी, बृजेश कुमार पांडेय प्रबंधक, डां अजय मणि त्रिपाठी, अंजलि अरोड़ा, पार्वती देवी, उमाशंकर द्विवेदी, हरेराम दीक्षित, छेदी प्रसाद गुप्त, रविनन्दन सैनी, डां विपिन बिहारी शुक्ल, डां जे एन पांडेय, संदीप कुमार द्विवेदी, रजनीश गोरे आदि लोग उपस्थित रहे।
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