April 20, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

हाथ कंगन…

हाथ कंगन को आरसी क्या,
पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या,
सरकार आरक्षण दे या न दे,
जातीय वर्गीकरण ख़त्म करे।

सत्य साहस यदि जुटा लेता है,
सारी व्यवस्था सुधर जाएगी,
हम सब में सामाजिक समरसता,
व समन्वयता फिर आ जाएगी।

बहुत भाग्यशाली होते हैं लोग,
जिनकी खुशहाली की हँसी में,
खुश हो कोई शामिल होता है,
प्राय: लोगों का दिल जलता है।

एक उँगली कोई किसी पे उठाता है,
ख़ुद की चार उँगलियाँ अपनी ओर
अपने आप स्वयमेव चली जाती हैं,
जो निज चरित्र को इंगित करती हैं।

क्षमता में ताक़त छिपी होती है,
ताक़त है तो सत्ता बनी रहती है,
परंतु सत्ता भी बदलती रहती है,
सत्ता की शक्ति अस्थायी होती है।

आदित्य बस यह सत्य ही स्थायी है,
फिर ताक़त और सत्ता से क्या डर,
सत्य पे भरोसा अडिग होना चाहिये,
सत्य की राह निडर चलना चाहिये।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र, “आदित्य”