—–शिक्षक दिवस विशेष—-
राजापाकड़ कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)5 सितम्बर…
शिक्षक हों तो ऐसे हों जो रिटायर होने के बाद भी ढलती उम्र में अपने बच्चों को ज्ञान रूपी मार्गदर्शन देकर अनवरत शिक्षा का अभियान चला रहे हैं।हम बात कर रहे है दुदही विकास खंड के गुरवलिया बाजार स्थित श्री अन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य की जिन्होंने रिटायर के बाद भी शिक्षादान कर गुरवलिया क्षेत्र को शैक्षिक केंद्र के रूप में तब्दील करने वाले डॉ शक्ति प्रकाश पाठक की।आज भी 6 हजार से अधिक छात्र इनके कुशल मार्गदर्शन में भविष्य संवार रहे हैं।उनका मत है कि प्रमाण पत्र थमा देने से शिक्षक रिटायर नही हो जाता।कहते है हम अपनी योग्यता का प्रवाह अगर बच्चों के जेहन में समावेश करते रहेंगे तो यही बालक कल देश के नायक होंगे।शक्ति पाठक के पिता ज्योतिषी बागीश्वरी पाठक ने इस क्षेत्र में शिक्षा के अंधकार को खत्म करने का जो बेड़ा उठाया था उसको शक्ति पाठक पूरा कर रहे है।
👉डॉ पाठक के सानिध्य में 6 हजार से अधिक छात्रों का संवर रहा जीवन
1956 में जन्मे शक्ति पाठक अपने पिता द्वारा स्थापित विद्यालय में 1970 में हाईस्कूल व 1972 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण किया।जूलॉजी आनर्स से 1976 में बिहार के मुजफ्फरपुर से स्नातक होने के बाद 1978 में गोविवि से समाजशास्त्र से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की।चार वर्ष के बाद इन्हें बतौर प्रवक्ता गुरवलिया के अन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कालेज में तैनाती मिली।वर्ष 2003 में डॉ पाठक अस्थाई प्रधानाचार्य बने और मिथिला विश्विद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।2012 में माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा कालेज के स्थाई प्रधानाचार्य बन गए।
प्रधानाचार्य के समय मे 500 की संख्या से अब यह संख्या तीन हजार का हो गया है।यही नही शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से नर्सरी कक्षा से लेकर प्राथमिक,स्नातक,तकनीकी शिक्षा,बीएड, बीटीसी सहित कई मान्यता प्राप्त कोर्स के लिए नीव रखी।शक्ति प्रकाश पाठक कहते है कि यह हमारा सौभाग्य है कि बच्चों के बीच रहकर उन्हें पढ़ाने का अवसर मिल रहा।यह सब पिताजी की दी हुई सिख है।2016 में इन्हें राज्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
संवादाता कुशीनगर…
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