अमानक गेहूं बीज डीबी डब्ल्यू–187 की सप्लाई से बुआई फेल, कृषि विभाग की भूमिका कटघरे में
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। जिले में रबी 2025–26 अभियान के दौरान किसानों को वितरित किए गए राजकीय गेहूं बीज की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराए गए गेहूं बीज डीबी डब्ल्यू–187 के अमानक और खराब होने के आरोपों से पूरे जिले में हड़कंप मचा हुआ है। खेतों में बुआई के बाद अंकुरण न होने से हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है और उन्हें लाखों रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार हरदोई जनपद के संडीला में तैयार गेहूं बीज की आपूर्ति महराजगंज जिले के मिठौरा, परतावल समेत कई ब्लाकों में की गई। मिठौरा ब्लाक में ही लगभग 600 बोरी बीज एक ट्रक के माध्यम से उतारी गई। किसानों का कहना है कि निर्धारित मानकों के अनुरूप बीज की जांच किए बिना ही कागजी औपचारिकताएं पूरी कर बीज वितरित कर दिए गए। परिणाम स्वरूप कई खेतों में बीज सड़ गए, जबकि कई स्थानों पर अंकुरण बिल्कुल नहीं हुआ।
मिठौरा क्षेत्र के किसान राजेश कुमार पटेल, त्रिलोकी, ठगइ, सुदामा गुप्ता, कृष्ण बिहारी पांडेय, भूखल यादव, शिवेश पांडेय, रघुनाथ यादव, दयानंद पांडेय, गणेश कुमार पांडेय, ओमप्रकाश राम, हरिराम, बांके बिहारी, अनवर अली सहित करीब 70 किसानों ने जिला कृषि अधिकारी को लिखित प्रार्थना पत्र देकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई और हुए नुकसान की भरपाई की मांग की है।
वहीं परतावल क्षेत्र के उमेश, राजेंद्र प्रसाद, मोहम्मद रफी समेत अन्य किसानों ने भी संयुक्त प्रार्थना पत्र देकर मुआवजा और आपूर्तिकर्ता संस्था की जिम्मेदारी तय करने की मांग उठाई है। मामले ने उस समय नया मोड़ लिया जब उप कृषि निदेशक, महराजगंज द्वारा केंद्रीय बीज भंडार प्रभारी को प्रशासनिक रूप से हटाने का आदेश जारी किया गया। हालांकि आदेश में न तो किसी जांच का उल्लेख था और न ही दोष सिद्ध होने के स्पष्ट साक्ष्य। इसके साथ ही कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश के पत्र संख्या 1389 जी 06 सितंबर 2017 के तहत अमानक बीज की स्थिति में आपूर्तिकर्ता संस्था की जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई। इस पर गोरखपुर मंडल के संयुक्त कृषि निदेशक अरविंद कुमार सिंह ने रबी अभियान के शीर्ष समय में कार्य बाधित होने की आशंका को देखते हुए 15 दिसंबर 2025 को उक्त आदेश को स्थगित कर दिया। साथ ही बीजों की गुणवत्ता, जमाव और अंकुरण की स्थिति का आकलन करने के लिए पृथक जांच समिति के गठन का निर्णय लिया गया है। समिति द्वारा नमूना संग्रह कर मौके पर जांच की जाएगी और यदि किसी प्रकार की राजकीय या किसानों की क्षति पाई जाती है तो उसका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।उधर किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र मुआवजा, दोषियों पर कार्रवाई और आपूर्तिकर्ता की जवाबदेही तय नहीं की गई तो वे भाकियू भानु के प्रदेश सचिव नीरज कुमार मिश्र के नेतृत्व में किसान यूनियन के साथ मिलकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। किसानों का कहना है कि यह मामला सीधे उनकी आजीविका से जुड़ा है और किसी भी स्तर की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ग्रामीण अंचलों में इस प्रकरण को लेकर जबरदस्त आक्रोश है और पूरे जिले की निगाहें अब गठित जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं, जिससे किसानों को न्याय और राहत मिलने की उम्मीद जुड़ी है।
