बीफार्मा और डीफार्मा पाठ्यक्रम में 60 सीटें होंगी उपलब्ध
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में फार्मेसी संस्थान शैक्षणिक वर्ष 2024-2025 से पूरी तरह से संचालित हो जाएगा।
विश्वविद्यालय ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) से डीफार्मा और बी फार्मा कार्यक्रमों की मंजूरी के लिए आवेदन किया है। संस्थान शुरू में बीफार्मा और डीफार्मा के लिए कक्षाएं चलाएगा, जिसमें प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए 60 छात्रों की सीटें उपलब्ध होंगी।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में फार्मेसी कार्यक्रम उच्च निष्ठा एवं नैतिक मूल्यों को स्थापित करने के साथ उत्कृष्ठ फार्मास्युटिकल टेक्नोक्रेट तैयार करने और मानवता की सेवा के लिए आजीवन प्रतिबद्धता के साथ मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
निकट भविष्य में, संस्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधुनिक दवाओं के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले शोध करने के लिए एमफार्मा और विभिन्न पीएचडी कार्यक्रम भी शुरू करेगा।
प्रारंभिक चरणों में, संस्थान में 07 सुसज्जित प्रयोगशालाएँ और 04 व्याख्यान कक्ष होंगे। प्रयोगशालाएँ फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री लैब (दो), फार्मेसी प्रैक्टिस लैब, फार्मास्यूटिक्स लैब (दो), फार्माकोलॉजी लैब व फार्माकोग्नॉसी लैब के अतिरिक्त एक कॉन्फ्रेंस हॉल, गर्ल्स और बॉयज कॉमन रूम, मशीन रूम, पेंट्री, स्टोर रूम, स्वतंत्र फार्मेसी लाइब्रेरी, फैकल्टी रूम, एनिमल हाउस, हर्बल गार्डन और इंटरनेट सुविधा के साथ एक कंप्यूटर रूम की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद एक ऑडिटोरियम और जिमनैजियम जैसी सामान्य सुविधाएँ होंगी।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन कहती हैं,
“यह पहल पूर्वांचल क्षेत्र में फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारा लक्ष्य छात्रों को एक ऐसा शैक्षिक आधार और अत्याधुनिक सुविधाएँ प्रदान करना है जो उन्हें फार्मेसी के क्षेत्र के साथ समाज में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार करेगी।”
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